पाली वन विभाग का कारनामा : सबूत दिखाने के बावजूद लॉक डाउन में उजाड़ा आदिवासियों को, माकपा ने बनाया राजनैतिक मुद्दा, कहा : बेदखल लोग पुनः करेंगे कब्जा

 

पाली वन विभाग का कारनामा : सबूत दिखाने के बावजूद लॉक डाउन में उजाड़ा आदिवासियों को, माकपा ने बनाया राजनैतिक मुद्दा, कहा : बेदखल लोग पुनः करेंगे कब्जा


छत्तीसगढ़ ( कोरबा ) ओम प्रकाश सिंह । एक ओर सुप्रीम कोर्ट ने वनभूमि पर काबिज लोगों को बेदखल करने के अपने ही आदेश पर स्टे दे रखा है, वही दूसरी ओर जिले का वन विभाग खुलेआम इसकी धज्जियां उड़ा रहा है। ऐसा ही मामला पाली विकासखंड के उड़ता गांव का सामने आया है, जहां लॉक डाउन पीरियड में 5 परिवारों को लगभग 15 एकड़ वन भूमि से उजाड़कर फेंसिंग कर दी गई है। 




इस बेदखली अभियान में उनके घरों को तोड़ दिया गया; आम, इमली, आंवला, नींबू जैसे फलदार वृक्षों और सब्जियों के पौधों को तबाह कर दिया गया; उनके स्वयं के कुओं पर कब्जा कर लिया और जबरन सागौन के पौधे लगा दिए हैं। इस उजाड़ो अभियान से पीड़ितों को लाखों रुपयों की क्षति हुई है।




उल्लेखनीय है कि ग्राम उड़ता को इस जिले का सबसे पुराना और बड़ा गांव माना जाता है। बेदखल हुए एक आदिवासी परिवार के मुखिया रतन सिंह का दावा है कि उसे वनाधिकार पत्रक मिलने के बाद भी जबरन उजाड़ा गया है। दावे के सबूत में वह अपना वनाधिकार पत्र भी दिखा रहा है। अन्य काबिज लोगों के बारे में पूरे गांव के लोग गवाही दे रहे हैं कि पिछली कई पीढ़ियों से इसी गांव में बसकर वे उस जमीन पर खेती-किसानी कर रहे थे। मानसिंह कंवर और हेम सिंह का कहना है कि वनाधिकार कानून के अनुसार भी पट्टा प्राप्त करने का उनका हक बनता है और ग्राम पंचायत ने भी उनके हक में वर्ष 2009 में प्रस्ताव पारित किया है। यह गवाही और प्रस्ताव पीड़ितों के पक्ष में महत्वपूर्ण सबूत है। पीड़ित किसान सुरित राम अपना पांच साला खसरा फॉर्म और यह प्रस्ताव लिए अधिकारियों का दरवाजा खटखटा रहा है।




वनाधिकार के मामले में कोरबा जिला प्रशासन अपनी सक्रियता और संवेदनशीलता का दावा जरूर कर रहा है, लेकिन बेदखली और नए आवेदन न लेने या पुराने आवेदनों को बिना पावती लेने और बिना उचित कारण के निरस्त करने के जो मामले उजागर हो रहे हैं, उससे प्रशासन के इन दावों पर सवालिया निशान लग रहा है। कोरबा नगर निगम क्षेत्र में ही हजारों एकड़ जमीन वन भूमि के रूप में दर्ज है और कई पीढ़ियों से हजारों परिवार यहां काबिज है। लेकिन आज तक एक भी परिवार को अधिकार पत्र नहीं मिला है और जिला प्रशासन शहरी क्षेत्र का हवाला देते हुए पट्टे देने से इंकार कर रहा है।




इधर माकपा ने पाली ब्लॉक के उड़ता और रैनपुर गांव के पीड़ितों को केंद्र में रखकर ऐन मुख्यमंत्री के आगमन के समय ही वनाधिकार का मुद्दा उठा दिया है। माकपा ने सैकड़ों आदिवासियों और किसानों के साथ मुख्यमंत्री को ज्ञापन देने की घोषणा करके इसे संवेदनशील राजनैतिक मुद्दे में बदल दिया है। माकपा जिला सचिव प्रशांत झा का कहना है कि वनभूमि से बेदखली के प्रकरणों में दोषी अधिकारियों पर कार्यवाही हो और बेदखल लोगों को पुनः कब्जा देकर उनको हुए नुकसान की भरपाई और उनके दावों की छानबीन की जाएं और पूरे जिले में नए दावों को लेने व पट्टे देने की कार्यवाही तेज की जाएं। माकपा नेता ने कहा कि मुख्यमंत्री से मिलने के बाद भी समस्या का हल नहीं निकलता, तो बेदखल लोग लाल झंडे के नीचे पुनः अपनी जमीन पर कब्जा करने का अभियान चलाएंगे।

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