मेण्डकाडोबरा में मनाया गया भूमकाल दिवस

 

मेण्डकाडोबरा में मनाया गया भूमकाल दिवस 



छत्तीसगढ़ ( दन्तेवाड़ा ) ओम प्रकाश सिंह । मेण्डकाडोबरा भूमकाल दिवस के अवसर पर आज दिनांक 10/02/2021 को दन्तेवाड़ा जिला मुख्यालय के स्थान मेण्डकाडोबरा में भूमकाल दिवस मनाया गया जय वीर गुण्डाधुर बस्तर के धुरवा जनजाति समाज के थे।उन्होंने संग्राम की शुरुआत 10 फरवरी 1910 को पुसपाल बाजार की लुअ से की थी गुण्डाधुर बस्तर और आदिवासी जनजाति को राजा और अंग्रेजो से मुक्त कराना चाहते थे। 




इस लिए उन्होंने विद्रोह का नया तरीका निकाला और राजा और अंग्रेजो के खिलाफ अलग-अलग जन जतियों से नेता चुन कर पुरे बस्तर को एक धागे में बांध दिया इन नेताओं ने संगठन बनाऐ जो सभी जगह से विद्रोह का नेतृत्व कर सके जिसमें डेबरीधुर, सोनु मांझी, आयतु महारा, मुण्डी कलार, मुसमी हड़मा, धानुधाकड़, बुदरू और बुटूल थे।




जो गुण्डाधुर के विश्वशनिय थे उन्होंने गांव-गांव जा कर लोगों को एकत्रित किया विरोध चिन्ह के रूप में डारा मिरी का उपयोग किया गया जिसमें आम की टहनी पर लाल मिर्च को बांध दिया जाता था।




बस्तर के सर्व मुल निवासी राजा और अंग्रेजो के अत्याचार से परेशान थे 19 वीं सदी के अंत तक सेठ सामत व साहूकारों ने आदिवासी का शोषण करना शुरू कर दिया भारी लगान और शोषण से काफी परेशान आदिवासी थे । उनके खिलाफ भी विद्रोह का आगाज कर दिया गया। 




विद्रोह का संदेश गांव-गांव तक पहुंचाने के लिये लाल मिर्च मिट्टी धनुष बांण और आम डंगाल का प्रयोग किया इस अभियान को बस्तर के वासी डारा मिरी का नाम दिया गुण्डाधुर ने इस विद्रोह में सबसे पहले अंग्रेजों के संचार तंत्रो को नष्ट किया विद्रोह को लेकर बस्तर के सभी आदिवासी जातियों में काफी उत्साह था उन सभी का लक्ष्य एक ही था बस्तर बस्तर वासियो का है और इसे हम लेकर रहेंगे काफी संघर्ष किये और विजय प्राप्त किये अंत में शहीद हुए। 


जब-जब जल जंगल का हरण होगा तब-तब भूमकाल प्रकट होगा। 

Post a Comment

0 Comments