आरटीओ ऑफिस में अधिकारी से ज्यादा पावर यहां के संविदा कर्मचारियों एवं स्टाॅफ का - जगदलपुर

 

आरटीओ ऑफिस में अधिकारी से ज्यादा पावर यहां के संविदा कर्मचारियों एवं स्टाॅफ का - जगदलपुर 


आरटीओ साहब को कम्युनिस्ट कार्य प्रणाली का ज्ञान नहीं


आरटीओ साहब ऑफिस के डाटा ऑपरेटर पर निर्भर 


ऑपरेटर के दिशा- निर्देश ऑफिस के कार्यों का संचालन 


वाहन मालिकों को मानसिक तनाव से गुजरना पड़ा हैं 



छत्तीसगढ़ ( बस्तर-जगदलपुर ) ओम प्रकाश सिंह ।  आरटीओ ऑफिस जगदलपुर में अधिकारी से ज्यादा पावर यहां के कर्मचारियों एवं स्टाॅफ का हैं यहाँ के संविदा पर कार्य कर रहे बाबुओं का बात ही निराली हैं। अगर कोई व्यक्ति आरटीओ कार्यालय में थोड़ लेट पहुंचा तो बाबू के द्वारा यह साफ शब्दों कहाँ जाता हैं कि टाईम हो गया है। कल आना जबकि बस शाखा में कहीं पर समय सीमा का पर्चा चस्पा नहीं किया गया हैं।  




ऐसे में आरटीओ ऑफिस जगदलपुर में दूर-दराज से आने वाले व्यक्तियों को परेशानियों का सामना करना पड़ता हैं। 


आरटीओ साहब का तो बात ही निराली हैं। इसके खिलाफ कोई कुछ बोला तो सीधे उस व्यक्ति के खिलाफ कार्यवाही  करते हैं। 


इनसे आज हर वाहन मालिक त्रस्त हैं, परेशान हैं फिर चाहे परमिट, लायसेंस,  फिटनेस या कार्य क्यों न हो। 


आरटीओ एवं कर्मचारियों से वाहन मालिक त्रस्त हैं। इनके खिलाफ जिस किसी ने मुँह खोला उसके खिलाफ कानूनी कार्रवाई कराया गया हैं और उनकी आवाज को दबाने का पूरा जोर प्रयास किया गया हैं। 


आरटीओ कार्यालय में एक बाबू हैं जिसके रहमो करम पर सारे कार्यों का संचालन होता हैं। साहब तो सिर्फ हस्ताक्षर के लिये हैं। 


सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार एवं नाम छापने की शर्त लोगों ने बताया कि आरटीओ दफतर में संविदा भर्ती पर नियुक्त कर्मचारियों एवं अधिकारी से सभी वाहन मालिक त्रस्त हैं। फिटनेस के नाम पर मनमानी शुल्क वसूल किया जाता हैं। आरटीओ ऑफिस गये वाहनों का फिटनेस के समय बारकोड युक्त रेडियम नहीं लगा हैं तो उस वाहन का फिटनेस नहीं किया जाता हैं फिटनेस के लिये अलग से तारिख दिया जाता है वो भी सप्ताह में तीन ही फिटनेस किया जाता हैं। 

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