रेल सेवा देशभर में बहाल,सुविधा के नाम पर चलाई जा रही इकलौता ट्रेन, बस्तर को ठेंगा
रेलवे १६० रूपये की जगह २५० रूपये किराया वसूल रहा
दूरी घटाकर अधिक किराया भी वसूल रहा रेलवे
छत्तीसगढ़ ( बस्तर-जगदलपुर ) ओम प्रकाश सिंह । उपेक्षा के शिकार बस्तरवासी के लिए एक बार फिर से केंद्र सरकार ने देश के अलग-अलग हिस्सों के लिए यात्री ट्रेनों की परिचालन करने की अनुमति दे दिया है।
जगदलपुर :- रेलवे स्टेशन में सुरक्षा व्यवस्था को लेकर कोई इंतजाम नहीं हैं। नक्सल प्रभावित क्षेत्र होने के बावजूद रेलवे स्टेशन में सुरक्षा को लेकर कोई खास व्यवस्था नहीं हैं। मेन गेट में लगे मेटल डिटेक्टर बंद पड़ा हुआ हैं। कोई भी व्यक्ति आसानी से रेलवे स्टेशन में आना-जाना कर सकता हैं।
जगदलपुर से ही विशाखापटट्नम के बीच दौड़ रही हैं। इस ट्रेन में न तो एक भी A / C डब्बे हैं, न ही रिजर्व वेसन डब्बे यहाँ तक की जनरल डब्बे को रिजर्व के नाम पर चलाया जा रहा हैं।
बस्तर वासियों के लिए रेल सेवाओं के क्षेत्र में पूर्व से ही पिछड़ा रहा हैं इस रेल मार्ग पर ६ यात्री ट्रेनों का परिचालन होता था। जिसमें केवल इकलौती यात्री ट्रेन चल रही। रेलवे ने इस ट्रेन को स्पेशल यात्री ट्रेन के नाम से चलाया जा रहा हैं। यहां के स्थानीय विधायक एवं संसद ने भी रेलवे विभाग को पत्र लिखकर इस रेलमार्ग पर ट्रेन चलने की मांग किया गया हैं।
फिलहाल इस रेलमार्ग पर ट्रेनों का परिचालन शुरू करने के लिए रेल विभाग से कोई पत्र जारी नहीं किया गया हैं।
बस्तर वासियों को रेल से यात्रा करने के लिए लम्बा इंतजार करने के आलावा कोई दूसरा रास्ता नहीं हैं।
खांस बात तो यह है कि यात्रियों से १६० रूपये की जगह २५० रूपये की अधिक वसूली जारी रखी हुई है। इस ट्रेन को पैसेंजर की तरह चलाई जा रही, जबकि इसकी दूरी भी घटा दिया गया है और यह ट्रेन किरंदुल के बजाए जगदलपुर से विशाखापटट्नम के बीच चलाई जा रही है।
विडम्बना : कोरोना संकटकाल का हवाला देते हुए दिनांक २५ मार्च २०२० को सभी यात्री ट्रेनों का परिचालन रोक दिया गया था। ईको रेलवे बस्तर के हितों को कर रहा नजरअंदाज।
ईको रेलवे प्रबंधन की ओर से कोई पहल नहीं किया जा रहा हैं।
बस्तर तक आने वाली किरन्दुल-विशाखापटट्नम पैसेंजर, विशाखापटट्नम-किरन्दुल (नाइट एक्सप्रेस ), हावड़ा-जगदलपुर ( सम्लेश्वरी ), भुवनेश्वर-जगदलपुर ( हीराखण्ड़ ), राऊरकेला- जगदलपुर और दुर्ग-जगदलपुर के परिचालन को लेकर ईको रेलवे कोई भी निर्णय नहीं लिया हैं। ऐसे में बस्तरवासियों को यात्री ट्रेनों के लिए लंबा इंतजार करना होगा।
केके और केआर रेलमार्ग से होकर बस्तर तक आने वाली ट्रेनों के यहां न आने की वजह से बस्तर सहित उड़ीसा सीमा प्रांत के लोगों ने नाराजगी व्यक्त की हैं।
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