स्थानीय कर्मचारियों को नौकरी से पृथक करने का सिलसिला सुकमा में नहीं थम रहा
दिव्यांग तुलाराम नाग को नौकरी से पृथक करने का मामला खत्म हुआ नहीं
दो और स्थानीय संविदा कर्मियों को नौकरी से पृथक किया गया जो क्षम्य योग्य नहीं है :- एआई एस एफ प्रदेश अध्यक्ष - महेश कुंजाम
छत्तीसगढ़ ( सुकमा ) ओम प्रकाश सिंह । सुकमा जिला पंचायत सीईओ के बंगला का खरगोश को मसय पर ईलाज नहीं करने के कारण जिला पंचायत सुकमा में कार्यरत दो संविदा कर्मी को किया नौकरी से पृथक।
विगत फरवरी माह 2021का मामला है, जो नियोजित ढंग से नियम प्रक्रिया को अधिकारी स्वयं अवहेलन करते हुए , जहा गलत नहीं है ,वहा का गलती थोपा गया है। महेश कुंजाम ने प्रेस बयान में कहा है कि दोनों संविदा कर्मी माड़वी हरिश भृत्य (BPRC संविदा ) एवं अनिल कुमार (वाहन चालक संविदा ) ने कोई गलती नहीं किया है , मामला बंगला का है ,दरअसल माड़वी हरीश को खरगोश ने कांटा तो ईलाज के लिए गया था। ईलाज समय पर नहीं हो पाने से हरीश ईलाज के लिए इंतजार करते रहे जल्द ईलाज नहीं होने से समय पर ड्यूटी में नहीं लौटने का मामला था। दूसरा अनिल कुमार वाहन चालक (संविदा कर्मी ) को भी बंगला का खरगोश का ही मामला बताया जा रहा है ,जो उसी खरगोश को दस्त होने से ईलाज करने के लिए अनिल और एक और को ले जाने कहा तो , ड्यूटी का समय को देखते हुए ईलाज करने नही ले जाने का महंगा पड़ा। अकीकत मामला ये है। और नोटिस में स्पष्ट उल्लेख किया गया है कि उच्च अधिकारी का आदेशो का अवहेलना करने, समय पर कार्य को महत्ता न देते हुए कार्यालय में अनुपस्थित रहने का, व उच्च अधिकारी के साथ व्यवहार में खुशलता भी कमी पाये जाने का उल्लेख है। जो गलत हैं, निराधार है। अब बताए क्या बंगला का खरगोश या अन्य काम मे भी काम करने के लिए उनकी भर्ती नियम में लागू था? क्या नियुक्ति के समय वाहन चालक की आदेश के साथ बंगला का देखरेख करने का उल्लेख किया गया है? स्पष्ट रूप से कारण बताओ नोटिस में खरगोश का उल्लेख क्यों नहीं है। इससे साबित होता है कि गैर जिम्मेदार अधिकारी क्या कर रहे हैं, आदिवासी बोलेभाले शासकीय कर्मियों के साथ बार बार अन्याय क्षम्य योग्य नहीं है । इससे पहले दिव्यांग तुलाराम नाग जो 80 प्रतिशत विकलांग है उनसे भी अन्याय किया गया है आज भी दर दर भटक रहा है। ऑल इंडिया स्टूडेन्टस् फेडरेशन के प्रदेश अध्यक्ष - महेश कुंजाम ने आगे कहा है कि आदिवासियों के साथ अन्याय ही नहीं मानसिक उत्पीड़न व जीवन जीने का अधिकार के विरुद्ध है।जबकि अनुसूचित जाति /अनुसूचित जनजाति के किसी भी अधिकारी कर्मचारियों को किसी भी मामले में किसी भी कारण से त्वरित कार्यवाही नही किया जा सकता है। लेकिन नियम के विरुद्ध करते हुए सेवा समाप्त किया गया है। इसके अलावा 9 लोगों को दैनिक वेतनभोगी कर्मियो को भी फण्ड की अभाव में काम से पृथक किया गया बताया जा रहा है जो निन्दनीय है इसका कड़ी निन्दा करता हूँ। इनका उच्च स्तरीय न्यायिक जांच होना चाहिए दोषी अधिकारी के खिलाफ कानूनी कार्रवाई होनी चाहिए। अन्यथा ऑल इंडिया स्टूडेन्टस् फेडरेशन उग्र आंदोलन करने बाध्य होगा।
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