गर्भवती महिला की सोनोग्राफी जांच में पाया कि बच्चे की दोनों हाथ एवं दोनों पैरों का विकास पूर्ण रूप से नहीं हो पाया - रेडियोलाॅजिस्ट, डाॅ. मनीष मेश्राम

 

गर्भवती महिला की सोनोग्राफी जांच में पाया कि बच्चे की दोनों हाथ एवं दोनों पैरों का विकास पूर्ण रूप से नहीं हो पाया - रेडियोलाॅजिस्ट, डाॅ. मनीष मेश्राम


छत्तीसगढ़ ( बस्तर-जगदलपुर ) ओम प्रकाश सिंह ।  जगदलपुर महारानी अस्पताल में एक विचित्र मामला सामने आया । दिनांक 23.04.2021 को लगभग पांच महीने की गर्भवती महिला सामान्य सोनोग्राफी जांच हेतु अस्पताल आई थी। सोनोग्राफी की जांच करते हुए।



     रेडियोलॉजिस्ट डॉ. मनीष मेश्राम

ने यह पाया कि बच्चे की दोनो हाथ एवं दोनो पैरों का विकास पूर्ण रूप से नहीं हो पाया है, केवल दोनो हथेलियां एवं दोनो पैरों के पद ही बन पाए है।



" फोकोमेलिया जिसमें केवल हथेली एवं पैरों के पद ही बन पाते हैं "

इस प्रकार की विकृति को चिकित्सकीय भाषा में फोकोमेलिया (Phocomelia) कहा जाता है। गर्भावस्था के दौरान बनने वाले बच्चों में पाई जाने वाली यह एक प्रकार की यह एक अत्यंत ही दुर्लभ विकृति है। पूर्व में किए गए शोध के अनुसार प्रति 1 लाख जीवीत पैदा हुए बच्चो में केवल 3-4 बच्चों में ही इस प्रकार की विकृति होने की संभावना होती है।



" सोनोग्राफी की फोटो है जिसमें सिर या खोपड़ी के अंदर पानी भरा हुआ दिख रहा हैं "

इसके अलावा बच्चे में एक दूसरे प्रकार की भी विकृति पाई गई जिसमे  बच्चे के खोपड़ी के अंदर एवं हृदय की परिधि में पानी भरा हुआ पाया गया। इस प्रकार की विकृति को चिकित्सकीय भाषा में हाइड्रॉप्स फेटालिस (Hydrops Fetalis) कहते हैं। 

गर्भावस्था के दौरान महिलाओं को चिकित्सकीय सलाहनुसार समय-समय पर सोनोग्राफी जांच करवानी चाहिए, ताकि बच्चे की 4 से 5 महीने पूर्व ही सही विकास का पता चल पाए। 



उपरोक्त दोनो प्रकार की विकृति को सर्व प्रथम रेडियोलॉजिस्ट डॉ. मनीष मेश्राम द्वारा पहचाना गया, साथ ही वरिष्ठ रेडियोलॉजिस्ट डॉ. गोविंद सिंह द्वारा भी उपरोक्त विकृतियों का सही होना पाया गया। डॉ. मेश्राम पिछले एक वर्ष से रेडियोलॉजिस्ट की कमी के चलते मेडिकल कॉलेज में अपनी सेवाएं दे रहे थे जहा उन्होंने 1 वर्ष में लगभग 3000 सीटी स्कैन का निरीक्षण एवं रिपोर्टिंग अकेले ही कर दिखाया एवं डिमरपाल मेडिकल कॉलेज अस्पताल में सीटी स्कैन तथा सोनोग्राफी द्वारा रक्त के नसों की जांच करने जैसी बहुमूल्य स्वास्थ्य सुविधाएं भी उपलब्ध कराई। उन्हे अब सिविल सर्जन डॉ. संजय प्रसाद ने मौजूदा कलेक्टर रजत बंसल के अनुमोदन द्वारा वापस महारानी अस्पताल में सेवा देने हेतु बुला लिया गया है जो यहां भी मरीजों के लिए लाभप्रद होता दिख रहा है

डॉ. मेश्राम ने बताया कि अब तक मिली जानकारी अनुसार पूरे बस्तर संभाग में यह अब तक का अनुमानतः पहला प्रकरण है। उपरोक्त विकृतियों के साथ बच्चे का सामान्य विकास संभव नहीं था। अगर जांच नही हो पाती एवं गर्भावस्था आगे बढ़ती तो यह माता के स्वास्थ्य के लिए खतरा बन सकता था एवं ऑपरेशन द्वारा बच्चे को निकालने की स्तिथि बन जाती। विश्व में उचित समय में पता नही चल पाने के कारण फोकोमेलिया से ग्रसित जीवित बच्चो का जन्म भी हुआ है किंतु उनका जीवन काफी कष्टपूर्ण एवं असामान्य होता है। महारानी अस्पताल में समय रहते जांच हो जाने से रेडियोलॉजिस्ट एवं स्त्री रोग चिकित्सको के परामर्श के पश्चात गर्भ को रोक देना सुनिश्चित कर दिया गया एवं मरीज को स्तिथि की गंभीरता के बारे में पूरी बात बता दी गई ।

इसी तारतम्य में डॉ. गोविंद सिंह द्वारा बताया गया की इस प्रकार से चिकित्सकीय परामर्श द्वारा गर्भवती महिलाओं को सोनोग्राफी या अन्य जांच करवानी चाहिए ताकि जच्चा एवं बच्चा दोनो के स्वास्थ्य की स्तिथि की जानकारी समय-समय पर मिलती रहे। 

कोरोना जैसी जानलेवा बीमारी के दौर में जहा एक तरफ चिकित्सक इस बीमारी से लड़ने में लगे है वही दूसरी ओर अन्य बीमारियों का इलाज भी सुचारू रूप से चल रहा - डॉ. संजय प्रसाद

महारानी अस्पताल में मौजूदा महामारी के दौर में भी रेडियोलॉजी विभाग में एक्सरे, सोनोग्राफी व सीटी स्कैन की सुविधा के साथ दोनो रेडियोलॉजिस्ट डॉ. गोविंद सिंह एवं डॉ. मनीष मेश्राम द्वारा निष्ठापूर्वक नियमित सेवाएं दी जा रही है।

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