बेसहारा परिवार को सरकार ने दिया सहारा-फेडरेशन
छत्तीसगढ़ ( बस्तर-जगदलपुर ) ओम प्रकाश सिंह । छत्तीसगढ़ प्रदेश शिक्षक फेडरेशन ने शिक्षा विभाग में अनुकंपा नियुक्ति प्रकरणों के तीव्र निराकरण गति को लोकहित में भूपेश सरकार के नीति और निर्णय का प्रतिफल बताया है।
प्रांताध्यक्ष राजेश चटर्जी,प्रवक्ता एवं संभागीय उपाध्यक्ष विधुशेखर झा,बस्तर संभाग अध्यक्ष भानुशंकर नागराज, महामंत्री रविन्द्र विश्वास, जिला अध्यक्ष जगदलपुर बस्तरआर डी तिवारी, जिला अध्यक्ष कांकेर पीपी सोनल ,जिला अध्यक्ष कोंडागांव प्रेमलाल शार्दुल ,जिलाध्यक्ष दंतेवाड़ा अरविंद यादव ,जिला अध्यक्ष सुकमा पुष्कर वर्मा ,महामंत्री सी एम पाण्डेय, वरिष्ठ पदाधिकारीगण अरुण देवांगन, निरंजन दास, जगदीश मौर्य, आनंद अय्यर, के धनलक्ष्मी राव, फरहाना रिजवी चेतन राम जैन ,दाऊ लाल तिवारी ,जय शंकर पांडे का कहना है कि दिवंगत शिक्षकों के बेसहारा परिवार को, सरकार ने सहारा दिया है। सरकार ने अनुकंपा नियुक्ति में 10 % सीलिंग को शिथिल करने का फैसला लिया था। इसी फैसले ने दिवंगत शिक्षकों के बेसहारा परिवार का तकदीर बदल दिया है।उन्होंने बताया कि शिक्षा विभाग में अनुकंपा नियुक्ति के 500 से अधिक पुराने प्रकरण वर्षों से लंबित थे। वहीं कोरोना संक्रमण के कारण 411 से अधिक शिक्षक दिवंगत हुए थे। कोरोना महामारी ने शिक्षकों को सर्वाधिक निशाना बनाया था। जोकि एक गंभीर चिंता का विषय था।
फेडरेशन ने 697 दिवंगत शिक्षकों के परिवार के आश्रित को शिक्षा विभाग के द्वारा सीमित समय में अनुकंपा नियुक्ति आदेश जारी करने पर संतोष व्यक्त किया है। फेडरेशन के कहना है कि सरकार ने दिवंगत शिक्षक के परिवार के आश्रित सदस्य को अनुकंपा नियुक्ति सांत्वना स्वरूप दिया है। जोकि,सीधी भर्ती (रिक्रूटमेंट) के प्रक्रियान्तर्गत नहीं होता है। अतः अनुकंपा नियुक्ति को परिवीक्षा अवधि में किया जाना अनुचित है। छत्तीसगढ़ सिविल सेवा (सेवा की सामान्य शर्ते) नियम 1961 के नियम-7 के तहत सेवा में भर्ती के तरीकों का उल्लेख है। नियम-7 (एक) में सीधी भर्ती द्वारा,जोकि प्रतियोगी परीक्षा/चयन के माध्यम से होता है। नियम-7 (दो) में सेवा के सदस्यों की पदोन्नति द्वारा तथा नियम-7 (तीन) में स्थानांतरण/प्रतिनियुक्ति द्वारा भर्ती किया जाता है। सीधी भर्ती द्वारा भरे जाने का पदों पर चयन मेरिट के आधार पर होता है। उन्होंने बताया कि नियम के अनुसार सीधी भर्ती प्रतियोगी परीक्षा अथवा चयन अथवा साक्षात्कार द्वारा होता है। सीधी भर्ती में आरक्षण अधिनियम 1994 तथा समय समय पर जारी निर्देश लागू होते हैं। शासकीय सेवकों को सामान्यतः वेतनमान के न्यूनतम पर 2 वर्ष की कालावधि के लिए परिवीक्षा पर नियुक्त किया जाता था।फेडरेशन के कहना है कि छत्तीसगढ़ शासन सामान्य प्रशासन विभाग के अधिसूचना 28 जुलाई 2020 द्वारा परिवीक्षा अवधि को 2 वर्ष को संशोधित कर 3 वर्ष किया है। छत्तीसगढ़ शासन वित्त विभाग के अधिसूचना 28 जुलाई 2020 के द्वारा छत्तीसगढ़ मूलभूत नियम 22 सी (1) के स्थान पर सीधी भर्ती के पदों पर चयनित शासकीय सेवकों के लिए 3 वर्ष परिवीक्षा अवधि के दौरान उस पद के वेतनमान के न्यूनतम का प्रथम वर्ष में 70 %, द्वितीय वर्ष में 80 % तथा तृतीय वर्ष में 90 % स्टाइपेंड देने का प्रावधान प्रतिस्थापित किया है। फेडरेशन का कहना है कि अनुकंपा नियुक्ति, प्रतियोगी परीक्षा/चयन/साक्षात्कार द्वारा नहीं होता है। किसी चयन समिति द्वारा अभ्यर्थियों के सूची का अनुशंसा अथवा मेरिट के आधार पर चयन नहीं होता है।आरक्षण रोस्टर लागू नहीं होता है। जब अनुकंपा नियुक्ति में सीधी भर्ती का नियमित पद्धिति लागू ही नहीं होता है तो सीधी भर्ती के लिए प्रभावशील परिवीक्षा अवधि का शर्त प्रभावशील नहीं चाहिये। गौरतलब है कि जारी हो रहे अनुकंपा नियुक्ति आदेश में परिवीक्षा अवधि एवं स्टाइपेंड का उल्लेख किया जा रहा है। फेडरेशन ने मुख्यमंत्री भूपेश बघेल से मामले को संज्ञान में लेकर न्याय करने का अनुरोध किया हैं।
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