महिला स्व-सहायता समूहों को मोती की खेती का दिया गया प्रशिक्षण श्रीमती के. मोनिका
छत्तीसगढ़ ( जगदलपुर ) बस्तर दर्पण गोठान को आजीविका की गतिविधियों से जोडकर महिला स्व-सहायता समूह के सदस्यों को आर्थिक लाभ का अवसर दिया जा रहा है। इसी तर्ज पर महिला स्व-सहायता समूहों को मोती की खेती का प्रशिक्षण दिया गया। बस्तर जिला पंचायत एवं नाबार्ड के द्वारा आयोजित राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन ’’बिहान’’ योजनातंर्गत गरीबी उन्नमूलन महिला सशक्तिकरण कार्यक्रम के तहत् विकासखण्ड बकावण्ड के ग्राम पंचायत मंगनार के गोठान में तीन महिला स्व-सहायता समूहों को मोती की खेती का प्रशिक्षण दिया गया। 15 दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम में महिलाओं को सीपों (गुली) के रख-रखाव एवं सीपों की शल्यक्रिया करने की विधि की जानकारी दी गई। इस प्रशिक्षण कार्यक्रम में कुल 30 महिलाओं ने हिस्सा लेकर प्रशिक्षण प्राप्त किया। प्रशिक्षण का संचालन स्वयंसेवी संस्था सोसायटी आफ ट्रायबल वेलफेयर एंड रूरल एजुकेशन के किया।
मोती उत्पादन बस्तर के ग्रामीणों के लिए आय का एक अतिरिक्त एवं सशक्त माध्यम हो सकता है। ग्रामीण अपने पारंपरिक व्यवसाय खेती किसानी के साथ-साथ मोती की खेती से भी अतिरिक्त आय प्राप्त कर आर्थिक रूप से सम्पन्न हो सकते हैं। प्रशिक्षार्थियों के प्रशिक्षण हेतु नाबार्ड के वित्तीय सहयोग से जिलाा पंचायत बस्तर के माध्यम से सोसायटी आफ ट्रायबल वेलफेयर एंड रूरल एजुकेशन संस्था की श्रीमती के. मोनिका ने दिया। प्रशिक्षिका ने बताया कि बस्तर में मोती की खेती के लिए आवश्यक वातावरण एवं संसाधन प्रचुर मात्रा में उपलब्ध हैं और यहां के तालाबों नदियों में पाये जाने वाले सीपियों (गुली) में वह तमाम गुण मौजुद हैं। मोतियों का उपयोग न केवल आभुषणों में किया जाता है बल्कि इनका उपयोग आयुर्वेदिक औषधियों में भी किया जाता है, इस तरह बस्तर मोतियों की खेती के लिए देश व प्रेदश में अपनी विशेष पहचान बना सकता है। जिला प्रशासन इस हेतु आवश्यक निर्णय व ठोस कदम उठाकर बस्तर को पूरे देश में मोती की खेती के लिए पहचान दिलाने की लिए अग्रसर है।
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