जलसे में भीड़ बढ़ाने ट्रेक्टर में ले जा रहें आदिवासियों कि सड़क दुर्घटना में मौत का जिम्मेदार कौन❓-शिवसेना,जिलाध्यक्ष,अरुण पाण्डेय्
आदिवासी तो आंदोलन कर रहें, प्रशासन किसको ख़ुश करने सरकारी ख़र्चे में आयोजन का दिखावा कर रही-शिवसेना
छत्तीसगढ़ ( जगदलपुर / शिवसेना ) ओम प्रकाश सिंह । विश्व आदिवासी दिवस पर जहाँ बस्तर अंचल में प्रशासन द्वारा अनेकों कार्यक्रम का आयोजित किये गए वहीं शिवसेना ने ऐसे आयोजनों का विरोध करते कहा कि बस्तर के असली आदिवासी तो अपने हक़ व अधिकार को पाने आज भी संघर्ष कर रहे हैं। उन्हें फोर्स और नक्सलियों के कारण उत्पन्न ऐसी व्यथा में छोड़कर, आदिवासियों के छद्म रूप धरे मेकअप करके आदिवासी बनकर आए लोगों के साथ स्थानीय नेतागण,वरिष्ठ पत्रकारगण हो या अधिकारी कर्मचारी सेल्फ़ी लेकर दिखावा करना नहीं भूलता।
" इधर दन्तेवाड़ा के कटेकल्याण क्षेत्र में विश्व आदिवासी दिवस के जलसे में शामिल होने जा रहे आदिवासियों से लदी ट्रेक्टर के सड़क दुर्घटना का शिकार होने पर 4 लोगों की मौत हो गई, उनके मौत का जिम्मेदार कौन हैं❓ "
शिवसेना ने पूंछा है कि ट्रेक्टर के ट्राॅली में इन्सानों को लादकर ले जाने की व्यवस्था किसने किया उसके ऊपर भी कार्यवाही किया जाना चाहिए और जिम्मेदार प्रशासनिक लोगों पर आवश्यक कार्यवाही होनी चाहिए। सिर्फ़ मुवाव़जे की राशि से प्रभारी मंत्री भी अपने जिम्मेदारी से कब तक भागते रहेंगे। मुवाव़जे की राशि सरकारी मद से हैं किसी ने अपने घर से नहीं दिया हैं।
विश्व आदिवासी दिवस में शामिल होने के लिए टेटम गांव के लगभग 30 ग्रामीणों को ट्रेक्टर के माध्यम से कटेकल्याण की ओर जा रहे थे कि दोपहर करीब 1:00 बजे टेटम एवं तेलम के बीच ट्रेक्टर डबरी में गिर गया। जिसमें ट्रेक्टर से दब जाने के कारण 4 ग्रामीणों की मौत हो गई।
" घायल :-"
(1) मासा मरकाम, (2) आयते मरकाम, (3) रेनू मरकाम, (4) बुधराम सोढ़ी (5) सुरजीत निवासी- टेलम / टेटम।
" एक बार फिर डीआरजी के जवानों द्वारा अपनी जान की परवाह किये बगैर मानवता का परिचय दिया गया घोर नक्सल इलाके में। "
शिवसेना द्वारा इसी तरह की समस्याओं को जड़ से उखाड़ने के लिए ही राज्य निर्माण के बाद से ही प्रदेश प्रमुख्य धनंजय सिंह परिहार के नेतृत्व में छत्तीसगढ़ को विशेष राज्य का दर्ज़ा दिलाने प्रयास व संघर्ष जारी हैं।
समस्त बस्तर और राज्य के आम नागरिकों को छत्तीसगढ़ को विशेष राज्य का दर्ज़ा दिलाने शिवसेना छत्तीसगढ़ के आंदोलन का हिस्सा बनकर सामने आना चाहिए, और तभी आदिवासियों को वास्तविक बधाई दिया जा सकेगा।
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