आमचो बस्तर ब्रांड राखियों की बाजार में जबरदस्त डिमांड

आमचो बस्तर ब्रांड राखियों की बाजार में जबरदस्त डिमांड

स्व सहायता समूह की महिलाओं द्वारा सिरहासार चौक में लगाया गया है आमचो बस्तर राखी सेल स्टाल, लोग कर रहे जमकर सराहना

बाँस, रुद्राक्ष, रत्न, डोरी, रेशम की आकर्षक इको फ्रेंडली स्वदेशी राखियाँ बनायी हैं महिलाओं ने

छत्तीसगढ़ ( जगदलपुर ) बस्तर दर्पण । पवित्र त्यौहार रक्षाबंधन को लेकर अब बाजार में चहल-पहल बढ़ने लगी है। बाजार में कईयों प्रकार की राखियों की दुकानें सजने लगी हैं और लोगों की भीड़ भी खरीदारी के लिये दिख रहा है।




इस बार विशेष आकर्षण आमचो बस्तर ब्रांड की राखियों को लेकर देखने को मिल रहा है। जो बेहद खूबसूरत और अनूठे है। उल्लेखनीय है कि राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन बिहान की महिला स्व सहायता समूह रोतमा और नारायणपाल की सदस्यों ने बाँस, रुद्राक्ष, रत्न, डोरी, रेशम की आकर्षक इको फ्रेंडली स्वदेशी राखियाँ बनायी हैं जोकि अब बाजार में उपलब्ध हैं। समूह की महिलाओं ने जिला पंचायत एवं राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन के सहयोग से स्थानीय सिरहासार चौक के पास स्टॉल लगाया है।




इस पर जानकारी देते हुये जिला पंचायत की मुख्य कार्यपालन अधिकारी ऋचा प्रकाश चौधरी ने बताया कि महिलाओं द्वारा बनायी गयी राखियों की बाजार में अच्छी खासी डिमांड है। सिरहासार के अलावा जनपद स्तर पर भी स्टॉल लगाया जा रहा है जिसका काफी अच्छा प्रतिसाद मिल रहा है। उन्होंने आगे बताया कि स्थानीय प्रशिक्षण प्रदाता संस्था ए पी एस और मार्केटिंग पार्टनर फर्म ट्राइबल टोकनी के माध्यम से सोशल मीडिया एवं ऑनलाइन प्लेटफार्म में भी मार्केटिंग की जा रही है।
उन्होंने आगे बताया कि महिलाओं की आजीविका में वृद्धि हेतु विभाग द्वारा हर संभव सहयोग किया जा रहा है। उन्होंने लोगों से भी अपील की कि महिलाओं को प्रोत्साहित करने के लिये इस बार इन इको फ्रेंडली स्वदेशी राखियों को अवश्य खरीदें और महिला सशक्तिकरण में अपना अमूल्य योगदान दें।
विशेष ऑफर के तहत आमचो बस्तर राखी सेल में बाँस और ढोकरा की राखियां, गहने, हस्तशिल्प, कॉम्बो पैक, हर्बल हस्तनिर्मित अगरबत्तियां और कुकीज भी उपलब्ध है। बाँस और ढोकरा की राखियां खरीदने पर 100 प्रतिशत कैशबैक भी दिया जा रहा है, जिससे उनकी राखी निशुल्क हो जाएगी साथ ही सेल्फी कॉन्टेस्ट का भी आयोजन किया गया है जिसमें अनेक पुरस्कार रखा गया है। जिला प्रशासन का यह प्रयास निश्चित ही बस्तर के हस्तशिल्प को आगे बढ़ाने में मील का पत्थर साबित होगा एवं रोजगार के नए अवसर भी खुलेंगे।

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