छिंदगुर, कांदानार और मुंडागढ़ के लोगों को मिली अंधेरे से आजादी

छिंदगुर, कांदानार और मुंडागढ़ के लोगों को मिली अंधेरे से आजादी

कांगेर घाटी की गोद में बसा यह क्षेत्र था नक्सलियों का ठिकाना

ग्रामीणों को विकास से दूर रखने के लिए नक्सलियों ने दिया था कई वारदातों को अंजाम

छत्तीसगढ़ (जगदलपुर ) बस्तर दर्पण ।  एशिया की सबसे अच्छी गुणवत्ता की प्राणवायु का क्षेत्र कांगेर घाटी राष्ट्रीय उद्यान के गोद में बसा सुंदर सा गांव कोलेंग। पहाड़ी मैना की चहचहाहट से गुंजता कोलेंग। दरभा विकासखण्ड का यह क्षेत्र अपनी प्राकृतिक सुंदरता के लिए सभी का मन मोह लेता है। इसी क्षेत्र के गांव हैं छिंदगुर, कांदानार और मुण्डागढ़ जो सदियों से अंधेरे में डूबे हुए रोशनी का इंतजार कर रहे थे। इस क्षेत्र की त्रासदी यह थी, कि यहां के लोग सड़क, बिजली और पानी जैसी मूलभूत सुविधाओं के लिए तरस रहे थे। यहां के लोगों की विकास कार्यों की मांग की आवाज को नक्सलियों ने लगातार दबाने की कोशिश की, जिसके कारण यह धुरवा जनजाति बाहुल्य यह सुंदर क्षेत्र विकास में लगातार पिछड़ता गया और लोगों का जीवन अत्यंत संघर्षमय होता गया। 



यहां तक कि मूलभूत सुविधाओं की मांग करने वाले इस क्षेत्र के जनप्रतिनिधियों को अपनी जान से भी हाथ धोना पड़ा। कोलेंग कैम्प की स्थापना के बाद प्रशासन ने क्षेत्र में विकास कार्यों को तेजी से आगे बढ़ाया, जिसका परिणाम है कि आजादी के 75 वें वर्ष में प्रवेश की पूर्व संध्या पर इस क्षेत्र के तीन गांव छिंदगुर, कांदानार और मुण्डागढ़ के लोगों को आखिरकार अंधेरे से आजादी मिल ही गई।



दुर्गम वनक्षेत्र और नक्सलियों के विकास विरोधी रवैये के कारण क्षेत्र के लोगों के लिए बिजली की रोशनी एक अनदेखा सपना था, मगर प्रशासन ने इस चुनौती को स्वीकार करते हुए क्षेत्र के लोगों को बिजली पहुंचाकर ही दम लिया। विकास की रोशनी से दूर रखने की कोशिश करने वाले विध्वंसकारी ताकतों से मुकाबला करते हुए क्षेत्र के ग्रामीणों को आखिर इस सौगात मिलने की बहुत अधिक खुशी है। उन्हें खुशी है कि उन्हें भी अब उजाला नसीब हो ही गया। गांव के दशमू, सुबलू, लैखन एवं छेनूराम से बातचीत के दौरान बिजली की सौगात मिलने से खुश नजर आए। दशमू ने कहा कि आज के दौर में अधोसंरचना के विकास के साथ शिक्षा के महत्व को भी समझ रहे हैं। दशमू ने बताया कि पिता के निधन के कारण घर के कामकाज और खेतीबाड़ी में हाथ बटाने के लिए उसने पांचवीं तक ही पढ़ाई की थी। उस दौर में बिजली जैसी सुविधाओं के अभाव में शिक्षा के महत्व को भी नहीं समझ पाए थे। अब गांव में बिजली आने से विभिन्न संचार माध्यमों से आसानी से जुड़ सकेंगे। दुर्गम वन क्षेत्र के बीच इस गांव में बिजली की सुविधा मिलने की बात कभी सोची भी नहीं थी, मगर सरकार ने यह कार्य करके यहां के ग्रामीणों को एक बहुत बड़ा तोहफा दिया है। दशमू ने कहा कि वह अपने बच्चे को अच्छी शिक्षा दिलाने का प्रयास करेंगे और सरकार की योजनाओं के माध्यम से क्षेत्र के विकास में सहयोग करेंगे।



विद्युत विभाग के कार्यपालन अभियंता ने बताया कि जिले के दरभा विकासखण्ड अंतर्गत ग्राम छिन्दगुर, कांदानार एवं मुण्डागढ़ में राजीव गांधी ग्रामीण विद्युतिकरण योजना के अंतर्गत विद्युत लाईन विस्तार का कार्य पूर्ण हो चुका है। लगभग तीन करोड़ रुपए का खर्च से इस कार्य को किया गया है, जिसमें 48 किलोमीटर 11 किलोवाट की लाईन बिछाने के साथ ही 19 नग 25 केवीए ट्रांसफार्मर स्थापित किए गए हैं। 42 किलोमीटर निम्न दाब लाईन बिछाने के साथ ही 571 घरों में निःशुल्क विद्युत कनेक्शन भी प्रदाय किया गया है। 



ग्राम छिन्दगुर, कांदानार एवं मुण्डागढ जिसमें कुल 24 मजरा टोला है जिला मुख्यालय से लगभग 48 किलोमीटर दूर है। विद्युत लाईन उर्जीकरण के प्रथम चरण में 14 अगस्त को छिन्दगुर के उपरपारा, थानागुडी पारा, बुलकापार एवं सल्फीपदर पारा की विद्युत लाईन को ऊर्जीकृत किया गया, जिसमें लगभग 100 बीपीएल परिवार निवासरत हैं। तीनो ग्रामों के शेष 20 मजरा टोलों को 31 अगस्त तक उर्जीकृत कर दिया जाएगा।

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