तेंदूपत्ता खरीदी के बाद लक्ष्य से अधिक बचे पत्ते की खरीदी पर नाराज ग्रामीणों ने खुद प्रबंधक पर सवाल खड़े किए

तेंदूपत्ता खरीदी के बाद लक्ष्य से अधिक बचे पत्ते की खरीदी पर नाराज  ग्रामीणों ने खुद प्रबंधक पर सवाल खड़े किए

छत्तीसगढ़ ( दोरनापाल - सुकमा ) अमन सिंह भदोरिया । जिले के कोंटा ब्लॉक अंतर्गत ग्राम पंचायत दुब्बाटोटा में वन प्रबंधन दुब्बाटोटा अन्तर्गत हुई तेंदूपत्ता खरीदी के बाद टारगेट से अधिक बचे पत्ते की खरीदी पर नाराज ग्रामीणों ने खुद प्रबंधक पर सवाल खड़े कर दिए हैं आज स्थिति ऐसी है कि इन आदिवासी ग्रामीणों को आपने ही मेहनताने के लिए पिछले 4 महीने से प्रबंधक के घर के चक्कर लगाने पड़ रहे हैं पर ये कोई सरकारी खरीदी का मामला नही है ये टारगेट से अधिक तोड़ाई किये गए तेंदूपत्ता का मामला है जो प्रबंधक ने ओडिसा के एक ठेकेदार को बिकवाया था। इस तेंदूपत्ते की खरीदी किसी तरह का रॉयल्टी भुगतान शासन के खाते पर नही हुआ। ग्रामीणों द्वारा लगाए गए आरोप के अनुसार उक्त बचे हुए पत्ते की खरीदी दुब्बाटोटा प्रबंधक देवदास जांगड़े के माध्यम से हुआ औऱ प्रबंधक ने जल्द भुगतान करवाने का आश्वासन देकर पत्ते का उठाव करवाया और 4 महीने बाद भी 2 दिन या 1 हफ्ते का आश्वासन दे रहा है। ज्ञात हो कि पिछले महीने भी नाराज ग्रामीणों ने कलेक्टर सुकमा के नाम लिखित शिकायत बनाकर कलेक्टर को शिकायत करने की तैयारी बनाई थी मगर उसी दौरान प्रबंधक द्वारा सरपंच व ग्रामीणों से थोड़ा वक्त मांगकर शिकायत को टाल दिया।




                
इस मामले पर नाराज ग्रामीण 8 सितम्बर को भी प्रबंधक के घर के सामने बड़ी संख्या में ग्रामीण पहुंचे थे जहां उन्हें प्रबंधक ने अंतिम वक्त देने को कहते हुए दिए गए वक्त में भुगतान का आश्वासन दिया गया बावजूद 4 दिन बाद भी जब भुगतान नही हुआ तो ग्रामीणों ने पत्रकारों को इसकी जानकारी देते हुए मामले पर प्रबंधक पर भुगतान के लिए घुमाने का आरोप लगाया औऱ उक्त मामले पर सोमवार को कलेक्टर और डीएफओ से शिकायत के लिए बड़ी संख्या में ग्रामीणों के पहुंचने की बात भी कही गई । ज्ञात हो कि इस मामले पर 8 सितंबर को बसपा के स्थानीय भी डीएफओ को लिखित शिकायत कर चुके हैं । इस मामले पर मौके पर मौजूद प्रबंधक देवदास जांगड़े से उनका पक्ष मांगा गया मगर उन्होंने कुछ भी कहने से इनकार कर दिया । ग्रामीणों को उनके अधिकार का पैसा मिलने के साथ जानकारी के बावजूद अवैध खरीदी का समर्थन करने वाले जिम्मेदार पर कार्यवाही की भी आवश्यकता है । क्योंकि अगर पत्ता अतिरिक्त बचा था हो अन्य सरकारी खरीदी कर रहे ठेकेदारों के माध्यम से रॉयल्टी भुगतान पर भी पत्ता उठवाया जा सकता था इससे शासन को राजस्व भी मिलता ग्रामीणों को समय पर उनका हक भी मिलता और शासन के बनाए नियमो की अवहेलना भी नही होती ।

"आधीरात ग्रामीणों के बगैर सहमति गाडियां ले गए अब भुगतान के लिए घुमा रहे"

स्थानीय ग्रामीण करको सोमा ने छत्तीसगढ़ को बताया कि मई महीने में ग्रामीणों द्वारा जो पत्ता तोड़ाई किया गया था उसी दौरान प्रबंधक द्वारा ओडिसा के ठेकेदार को बुलवाया गया था पर पत्ता खरीदी होते ही 5 रु प्रति गद्दी में भुगतान करवाने की बात कही गई थी और पत्ता की ख़ूनदाई  व ढुलाई के काम मे लगाया गया था। फिर भुगतान के लिए 1 महीने रुकने का हवाला दिया गया 1 माह बाद ग्रामीणों ने ठेकेदार को बुलवाया जहां ठेकेदार द्वारा 15 दिन में पूरा भुगतान करवाने का हवाला दिया। सोमा ने यह भी बताया कि बिना भुगतान माल से भरी ट्रक को भी ले जाने के खिलाफ ग्रामीणों ने ट्रक के सामने लकड़ियां लगा दी थी मगर आधी रात उन लकड़ियों को हटाकर गाड़ियों को निकाल लिया गया।

उक्त मामले पर मुझे स्थानीय लड़को से लिखित शिकायत मिली है मैने कोंटा एसडीओ को मामले की जांच का आदेश दिया है। ओडिसा का ठेकेदार उसी शर्त में खरीद सकता है अगर उसे सरकारी खरीदी का ठेका मिला हो बगैर सरकारी ठेके के खरीदी भी अवैध मानी जाएगी फिलहाल वास्तविकता जांच में पता चल जाएगी अगर जांच में ये पाया जाता है कि जानकारी के बावजूद अगर प्रबंधक द्वारा अवैध रूप से ओडिसा पत्ता बिकवाने का काम किया गया है तो प्रबंधक पर कार्यवाही होगी।जे एस रामचंद्र डीएफओ ,सुकमा।

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