कोरोना काल में 1500 करोड़ से अधिक का चावल घोटाला किया है कांग्रेस ने.
मोदी का लाखों टन चावल खा गए मुख्यमंत्री भूपेश बघेल, निष्पक्ष जांच हो.
छत्तीसगढ़ ( बस्तर - जगदलपुर )ओम प्रकाश सिंह । " प्रदेश " में कांग्रेस सरकार के सत्ता में आने के बाद से ही लगातार घोटाले पर घोटाले किये जा रहे हैं। अफ़सोस की बात यह है कि वैश्विक महामारी कोरोना के समय में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा भेजे गए चावल में भी कांग्रेस सरकार ने बड़ा घोटाला कर लिया है। भाजपा द्वारा बार-बार ध्यान दिलाने के बावजूद भी कांग्रेस ने यह घोटाला जारी रहा है, यह अफसोसनाक है।
" आप " सब जानते हैं कि इस महामारी के दौरान मोदी ने सभी ज़रूरतमंदों तक दो महीने के लिए मुफ्त चावल देने का निर्णय लिया था। महज़ सुर्खियां बटोरने के लिए मुख्यमंत्री बघेल ने प्रधानमंत्री को पत्र लिख कर दो महीने और चावल बढाने की मांग की थी। लेकिन मोदी ने सीधे दीवाली तक सभी ज़रुरतमंदों को मुफ्त चावल देने की घोषणा की। यह तमाम चावल आवंटन कर भी दिया गया। लेकिन अन्य तमाम केन्द्रीय योजनाओं की तरह ही इसका लाभ भी जनता तक पहुचाने के बजाय कांग्रेस हड़प रही है। यह अपने आप में एक बड़ा घोटाला है।
" प्रधानमंत्री " गरीब कल्याण योजना के अंतर्गत केंद्र से हर महीने 1 लाख 385 टन अतिरिक्त आवंटन किया जा रहा है. प्रति व्यक्ति 5 किलो चावल प्रति महीने के मान से इससे दो करोड़ से अधिक लोगों को हर महीने यह लाभ मिलना था. लेकिन इसमें से मुश्किल से एक तिहाई लोगों तक यह लाभ पहुंच रहा है. करीब 1.5 करोड़ गरीबों के मुंह से निवाला छीना है कांग्रेस सरकार ने विधनासभा में नेता प्रतिपक्ष धरमलाल कौशिक, विधायक एवं प्रदेश भाजपा उपाध्यक्ष शिवरतन शर्मा, पूर्व खाद्य मंत्री पुन्नुलाल मोहले समेत भाजपा विधायकों के सवाल के जवाब में शासन ने स्वीकार किया है कि प्रति माह 1 लाख 385 टन अतिरिक्त चावल केंद्र द्वारा छत्तीसगढ़ को आवंटित किया जा रहा है।
" औसतन " एक राशन कार्ड पर तीन से चार सदस्य होते हैं, जिसमें 1, 2 और 3 सदस्यों तक वाले राशनकार्ड पर यह लाभ नहीं दिया जा रहा है। इस मान से अगर एक मोटा अनुमान लगाया जाय तो लगभग दो तिहाई लोगों के हिस्से का चावल गबन कर लिया जा रहा है। यानी गरीबों के हिस्से का लगभग पांच लाख टन चावल राज्य सरकार हड़प गयी है। इससे पहले भी राज्य शासन ने पंचायतों को दिए एक-एक क्विंटल चावल की कीमत 32सौ रुपये प्रति विवंटल वसूल किया था जबकि कांग्रेस उसे मुफ्त देने की बात कर रही थी। अतः चावल का सरकारी रेट 32 रुपया किलो के मान से मोटे तौर पर यह घोटाला 16 सौ करोड़ से अधिक का है।
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