तहसीलदार द्वारा छापामार कार्रवाई के बाद आरटीआई से प्राप्त जानकारी में तथ्य चौंकाने वाला है।
" स्वास्थ्य विभाग की इम मामले में उदासी रवैया समझ से परे है "
छत्तीसगढ़ ( बस्तर-जगदलपुर ) ओम प्रकाश सिंह । हाल ही में कुछ माह पूर्व " डॉ.अक्षय पराशर " के क्लीनिक में कलेक्टर के दिशा निर्देश अनुसार तहसीलदार मधुकर सिरमोर द्वारा गठित टीम ने छापा-मार कार्रवाई की गई थी जिस पर आरटीआई द्वारा प्राप्त जानकारी से तहसीलदार द्वारा की गई कार्रवाई के दौरान जांच में दोषी पाया गया है।
जगदलपुर तहसीलदार द्वारा आरटीआई से प्राप्त जानकारी में स्पष्ट रूप से उल्लेखित है कि जांच के दौरान " नेत्र क्लिनिक विजन सेंटर " में मरीजों की जांच करते हुए " डॉक्टर अक्षय डी. पराशर पाए गए डॉ. अक्षय पाराशर वर्तमान में महारानी हॉस्पिटल में नेत्र विशेषज्ञ के रूप में पदस्थ है ", जांच के दौरान मौजूद मरीजों का इलाज करते हुये पाये गये, जिस पर तहसीलदार ने डॉ अक्षय पराशर से क्लीनिक एक्ट 2010 के अनुसार मान्यता संबंधित कोई रजिस्ट्रेशन या प्रमाण पत्र के संबंध में जानकारी मांगी जिस पर तहसीलदार के समक्ष कोई भी प्रमाणित कागजात प्रस्तुत नहीं किया गया।
" नियुक्ति शर्तों के खंडिक 8 उल्लंघन है। संविदा के अधीननियुक्त नेत्र विशेषज्ञ निजी प्रैक्टिस नहीं कर सकेगा, यदि कोई उम्मीदवार चयन उपरांत निजी संस्था में कार्य करते पाये जाते हैं, तो उनकी सेवा तत्काल समाप्त की जावेगी। "
" तहसीलदार के जांच प्रतिवेदन पत्र क्रमांक/ वाचक/ तह/ 2021 जगदलपुर दिनांक 27-05-2021 के तहत डॉ अक्षय पाराशर दोषी पाए गये हैं। "
"तहसीलदार जगदलपुर के प्रस्तुत जांच प्रतिवेदन स्वास्थ्य विभाग के मुख्य चिकित्सा अधिकारी के संज्ञान में आने के बाद तहसीलदार के प्रतिवेदन की धज्जियां उड़ाया जा रहा हैं। "
छत्तीसगढ़ राज्य उपचर्यागृह तथा रोगोउपचार संबंधी स्थापनाएं अनुज्ञापन अधिनियम-2010 के तहत् *" व्यक्ति बिना ( वैध ) लाइसेंस के कोई क्लिनिकल स्थापना जो चला रहा हैं तो 20,000/- रूपये ( बीस हजार रुपये ) के जुर्माने का दण्ड दिया जाएगा। "
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