धान खरीदी के नाम पर किसानों से खेल रही राज्य सरकार -तरुणा साबे बेदरकर
उन्होंने कहा कि जो धान खरीदी नवम्बर माह से शुरू हो जानी चाहिए थी उसे दिसम्बर में खरीदने का आदेश जारी कर दिया गया। इसकी परणिति यह हुआ कि किसानो के धान खलिहानो मे ही पकने के बाद भी पड़े रहें और बैमौसम की बारिश ने किसानों का दम निकाल दिया। जैसे तैसे फसल को बचाकर आज किसान धान खरीदी केन्द्रो में अपना धान बेचना चाह रहे हैं तो उनके सामने 25 प्रतिशत बारदाना लाने का तुगलकी आदेश जारी कर दिया गया है।
किसानों को बारदाना उपलब्ध ना करा पाना कांग्रेस सरकार व प्रशासन की असफ़लता
भूपेश सरकार पर तंज कसते पुनः तरुणा ने कहा कि सरकार अपनी नाकामियों को छिपाने के लिए बारदाने के कमी बता रही है पर उसका पूरा दोषारोपण केन्द्र सरकार पर डाल रही है। जबकि इस सरकार को पिछले 1 साल से पता है कि अगले वर्ष फिर से धान खरीदी किया जाना है,उसके बाद भी बारदाने की व्यवस्था न कर पाना इस सरकार की लापरवाही है। हर बार बारदाने की कमी बता कर सरकार किसानो के साथ छल करते आ रही है आज किसान परेशान होकर बाजार से ऊंचे दामों 30 से 45 रुपये में बारदाना खरीदने को मजबूर हैं। सरकार को ज्ञात होना चाहिए कि वह किसानों से सिर्फ धान खरीदती है बारदाना नही, केन्द्र या राज्य सरकार के गाईडलाईन में यह कही नही लिखा है कि,किसान बारदाने की व्यवस्था स्वयःकरेंगें। कुल मिलाकर मतलब यह निकलता है कि राज्य सरकार और केंद्र सरकार एक दूसरे को नीचा दिखाने के खेल में मस्त है और किसानों की परेशानी से उन्हें कोई लेना देना नही है।
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