लाला जगदलपुरी के 101वीं जयंती के अवसर पर बादल में सात दिवसीय हल्बी भाषा प्रशिक्षण का शुभारंभ।

लाला जगदलपुरी के 101वीं जयंती के अवसर पर बादल में सात दिवसीय हल्बी भाषा प्रशिक्षण का शुभारंभ।

छत्तीसगढ़ ( बस्तर-जगदलपुर ) अश्वनी कुमार कौशिक । बस्तर अकादमी ऑफ डांस आर्ट एंड लिटरेचर (badal)आसना में लाला जगदलपुरी की 101वीं जयंती के अवसर पर सात दिवसीय हल्बी भाषा प्रशिक्षण के पहले बैच का शुभारंभ किया गया। इस अवसर पर मुख्य अतिथि आकाशवाणी जगदलपुर के केंद्र निदेशक बलबीर सिंह कच्छ और अध्यक्ष वरिष्ठ लोक साहित्यकार नरेन्द्र पाढ़ी रहे।



 माँ शारदे के समक्ष दीप प्रज्ज्वलन व अतिथियों के स्वागत  के पश्चात प्रशिक्षुओं का परिचय प्राप्त किया गया। बस्तर के मूर्धन्य साहित्यकार लाला जगदलपुरी  जिन्होंने हल्बी भाषा पर विभिन्न साहित्य सृजन किए हैं ऐसे महापुरुष की जयंती पर हल्बी भाषा प्रशिक्षण के शुभारंभ से गौरवान्वित हल्बी भाषा प्रमुख शिवनारायण पाण्डे (कोलया) ने हल्बी भाषा प्रशिक्षण का उद्देश्य व प्रशिक्षण की आवश्यकता बताते हुए कहा कि बस्तर के मैदानी क्षेत्रों में कार्यरत अधिकारी, कर्मचारी हल्बी भाषा सीख कर( जो कि यहाँ की सम्पर्क भाषा है ) ग्रामीणों से शासकीय व स्वास्थ्य हो या अन्य जानकारियां हों उन्हें आसानी से समझा पाएंगे। साथ ही हल्बी भाषा के संरक्षण व संवर्धन में सहयोग प्राप्त होगा। भाषा के साथ ही बस्तर की संस्कृति व परम्पराओं का शुद्ध रूप से अगली पीढी में हस्तांतरण का प्रमुख उद्देश्य है।



लाला जगदलपुरी के योगदान का स्मरण करते हुए अपने उद्बोधन में कार्यक्रम के अध्यक्ष नरेंद्र पाढ़ी ने कहा कि लाला अत्यंत स्वाभिमानी और सरल स्वभाव के व्यक्ति थे उन्होंने हिंदी,उर्दू, हल्बी भतरी और छत्तीसगढ़ी में साहित्य सृजन किया वे केवल साहित्यकार ही नहीं अपितु एक नाटककार भी थे उनके लिखे हुए नाटक पर बस्तर माटी के कलाकारों ने मंचीय प्रस्तुतियां दीं हैं। लाला ने सर्वप्रथम पंचतन्त्र की कहानियों का अनुवाद हल्बी में किया था।




मुख्य अतिथि बलबीर सिंह कच्छ ने अपने उद्बोधन में कहा कि हल्बी भाषा प्रशिक्षण एक बहुत अच्छी पहल है।इससे विभिन्न विभागों में कार्यरत हल्बी नहीं जानने वालों को हल्बी भाषा सीखने का अवसर प्राप्त होगा और वे ग्रामीणों के साथ सामंजस्य स्थापित करने व उन्हें समझने में आसानी होगी। एक प्रयास यह भी हो कि हल्बी भाषा के साथ साथ लोग यहां की संस्कृति से भी परिचित हों।जिससे लोक संस्कृति और परम्पराओं को सहेजने और सम्वर्धित करने में सहयोग प्राप्त होगा। स्वागत उद्बोधन विजय सिंह ने किया तथा कार्यक्रम का संचालन वंदना झा तथा आभार प्रदर्शन पूर्णिमा सरोज ने किया।
इस अवसर पर बलबीर सिंह कच्छ,नरेंद्र पाढ़ी, विजय सिंह,पूर्णिमा सरोज,महेंद्र सिंह ठाकुर, शिवनारायण पाण्डे, लखेश्वर खुदराम, सिद्धार्थ नाशीने,वंदना झा,गिरवर रावटे, गजेंद्र सिंह,पूनम गुप्ता,बादल स्टाफ व शिक्षा विभाग, महिला बाल विकास विभाग,स्वास्थ्य विभाग आदि के 30 प्रशिक्षणार्थी उपस्थित थे।

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