माघी पुन्नी मेला दामाखेड़ा

माघी पुन्नी मेला दामाखेड़ा


छत्तीसगढ़ ( भिलाई-दुर्ग ) ओम प्रकाश सिंह । पूस के कुन कुन जाड़ अउ छेरछेरा तिहार मानत आगे माघ फाल्गुन संघरा बसंत के पुरवाही घलो सुरूर- सुरूर आवत हे। आमा ह मउरत हे मन म रस घोलत हे, इही बेरा म धरम करम करे होये ले हमन छत्तीसगढ़िया धन भाग सउराथन।




छत्तीसगढ़ के संस्कृति म मंडई मेला जातरा हाट बाजार अउ संत समागम घलो दिखे ल मिलथे, जगदलपुर के घोंचा पर्व, बालोद चौरेल मेला, मोहंदीपाट मंडई, मोहरा मेला जेला जातरा मेला घलो कहिथे, राजिम माघी पुन्नी मेला, दामाखेड़ा मेला कबीरपंथ के संत समागम अउ बाबा घासीदास दुवरिया गिरोधपुरी धाम म बाबा जी के फाल्गुन मेला देखन सुनन बड़ दुर्लभ हवे। हर बछर छत्तीसगढ़ म दामाखेड़ा, कुदुरमाल, रइगढ़, कबीरधाम, नांदिया कबीर मठ राजनादगांव बांधवगढ़ हर पइयत मेला लागथे।

साहब के मेला दुवास ले माघी पुन्नी के आत ले भराथे, दुनिया भरगे के जम्मो संत महात्मा म साहेब के दर्शन लालित्य खातिर वोकर डेहरी म आथे, कोरबा कुदुरमाल म साहब के ठउर हवे, उहा अलगेच गुरुगद्दी के स्थापना घलो होये हे।
        कबीर पंथ कबीर साहेब के बताये सत मारग चलइया मनखे मन ल कबीरपंथी कहे गेहे। बिसेसतर छत्तीसगढ़ म पनिका (मानिकपुरी) , धोबी, कुर्मी, लोधी, तेली, अउ यादव समाज मनसे मन कबीर पंथ ले जुरे हे। कबीर पंथ माँ पांच शाखा बताये हे, तेमा मगहर, बनारस, बिहार, गुजरात, अउ धरमनगरी दामाखेड़ा, रइपुर ले ५८ किलो मी दूर म जिला बलौदाबाजार छत्तीसगढ़ म रचे बसे हे।

कबीरपंथ के मनईया अब्बड़ हे, अउ छत्तीसगढ़ के संस्कृति घलो बन गेहे। आज घलो बिहाव के पहली तै स्ताहा हरस के कबीरहा कहिके पुछेच लेथे। 

साहेब बंदगी! कबीर पंथ म साहब ल वंदन करत वोकर पइया लागत साहेब बंदगी करथे। कान पुखाइ नवा नामदान ले परंपरा घलो पंथ म हवे, तुलसी के डंठल ले बने कंठी पहिने, फेर महंत मन कबीरपंथी कनपटी टोपी अउ माला पहिने के, पुन्नी उपास रहे के घलो महत्तम हे। चउका आरती, कबीर पंथ म पाठ आनुष्ठान ल चउका कहे हे, जेमा कपूरी पान, सुपारी, पान परवाना सूखा मुंडा नरियर चढ़ाये के बिधि हे। चन्दन स्वेत कस चउका पुर के, गेहू पिसान ले बने दिया, दूध ले बने दल परसाद अउ चउर लॉन्ग ईळाची, काजू बादाम छुवारा ले सजे थारी म मुख म होथे साहब के आरती संग झांझ मंजीरा करताल अउ तबला के त्रिताल म छक मिक छक मिक चउका पूरथे।
अइसनेच पाटन दुरूग तीर सेलूद म साहब के संत समागम मेला प्रवचन म बड़ मनखे झुरियाथे। राजनांदगांव कबीर मठ नादिया म, अउ लोलेसरा बेमेतरा म घलो अब्बड़ साहब के नेमी प्रेमी मन बास करथे। भिलाई म घलो नेहरू नगर निर्मल गियान मंदिर म भिलाई के खुर्सीपार, छावनी , कबीर मंदिर वार्ड, कैंप साहब के पंथ बगरे हे। साहब के बानी बड़ गियानी के हे, साहब के बानी ल करम धरम म उतारना सद भाव ल धारिया मनखे ह सिरतोन कबीरहा हे। मेला तो अब्बड़ विशाल होथे अउ उहा सबो झन बर रहन भोजन भंडारा साहब के अनुकम्पा ले हो जाथे।एक घाव आपो मन संत मेला दामाखेड़ा जरूर आवव.... 

अउ आखिर म साहब के सब्बो नेमी प्रेमी मन ल उत्कर्ष के साहेब बंदगी साहेब!

       उत्कर्ष कुमार सोनबोइर
        राजीव नगर खुर्सीपार
               भिलाई दुर्ग
                छत्तीसगढ़
Mob 9301307746
utkarshsonboir@gmail.com

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