13 वर्षीय बच्ची के शरीर में मिले दो गर्भाशय ... प्रकृति का एक आश्चर्यजनक कारनामा-डाॅ. मनीष मेश्राम।
छत्तीसगढ़ ( बस्तर-जगदलपुर ) ओम प्रकाश सिंह । महिलाओं के शरीर में पाई जानी वाली गर्भाशय एक अत्यंत ही महत्वपूर्ण अंग है जिससे किसी महिला को मां बनने का सुख प्राप्त होता और श्रृष्टि में एक नए जीवन की उत्पत्ति होती है। सामान्यतः सभी महिलाओं में केवल एक ही गर्भाशय होती है किंतु कभी उसी गर्भाशय में विभिन्न प्रकार की विकृतियां उत्पन्न हो जाती हैं।
दो गर्भाशय की विकृति
गर्भाशय डाईडेलफिस होने के कारण - डॉ. मेश्राम ने बताया इस विसंगति का कारण ज्ञात नहीं है और अक्सर कोई लक्षण मौजूद नहीं होते हैं, इसलिए कई महिलाओं को यह ज्ञात ही नहीं रहता की उन्हे यह बीमारी भी है, किंतु इसके होने की प्रक्रिया को समझा जा चुका है। महिला भ्रूण विकास के दौरान गर्भाशाय दो अलग अलग भागो में बनता है जो की आगे चलकर भ्रूण विकास के भिन्न चरणों में परस्पर जुड़ जाते हैं। कुछ महिला भ्रुण विकास प्रक्रिया में दोनो भाग नहीं जुड़ पाते और दो गर्भाशय की जन्मजात विकृति विकसित हो जाती है। हालांकि इस प्रक्रिया में कई अन्य प्रकार की भी विकृतियां होती है किंतु इस अंक में केवल गर्भाशय डाईडेलफिस के बारे में बताया गया है।
गर्भाशय डाईडेलफिस की समस्याएं - डॉ. मेश्राम ने बताया कि अलग अलग मरीजों को परिस्थितनुसार विभिन्न समस्याएं हो सकती है जिसमे मासिकधर्म का ना होना एवं दर्द का होना, अनियमित मासिकधर्म, गर्भ धारण न होना अथवा बार-बार गर्भपात होने जैसी समस्याएं शामिल हैं। हालांकि कई महिलाओं को किसी प्रकार की बड़ी समस्या नहीं होती महिला के गर्भ धारण के पश्चात सोनोग्राफी द्वारा इस विकृति का पता चलता है।
" क्या दो गर्भाशय विकृति में गर्भ धारण किया जा सकता है ? "
डॉ. मेश्राम के अनुसार पूर्व विभिन्न चिकित्सकीय आंकड़ों से यह ज्ञात है की दो गर्भाशय वाली महिलाओं में गर्भ धारण हुआ है और स्वस्थ बच्चे का जन्म भी हुआ है।
प्रश्न यह भी है की क्या दोनो गर्भाशय में एक साथ बच्चे हो सकते है ?
हालांकि दोनों गर्भाशय में गर्भ धारण हो सकते है किंतु सामान्यतः किसी एक गर्भाशय के भ्रूण का स्वतः ही गर्भपात हो जाता है और बहुत ही कम परिस्थिति में दोनो भ्रूण का विकास होना और उनका जन्म होना भी पाया गया है।
निदान व सावधानियां - यदि कोई लक्षण मौजूद नहीं हैं और प्रजनन क्षमता और गर्भावस्था के साथ कोई जटिलता नहीं है, तो किसी भी सर्जिकल उपचार की आवश्यकता नहीं है। गर्भवती महिलाओं के लिए सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि दो गर्भाशय वाली विकृति को याद रखें कि यह स्थिति उच्च जोखिम वाली गर्भावस्था की श्रेणी में आती है। इसका मतलब है कि किसी भी गर्भावस्था से जुड़ी सभी सामान्य सुरक्षा सावधानियों का कड़ाई से पालन किया जाना चाहिए। डॉ. मेश्राम ने कहा कि अब जबकि इस केस में मरीज के गर्भाशय की विकृति का समय रहते पता लगाया जा चुका है तो वर्तमान उपचार के अलावा मरीज के विवाह के बाद गर्भ धारण करने से पूर्व इस मरीज द्वारा ऐतिहातिक तौर पर वर्तमान में किए गए सोनोग्राफी के रिपोर्ट की सहायता से संभावित आवश्यक चिकित्सकीय जांच एवं उपचार कराकर स्वस्थ गर्भ धारण किया जा सकता है जो उनके दाम्पत्य जीवन को खुशियों से भर देगा।
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