" छतीसगढ़ के पावन माटी "

" छतीसगढ़ के पावन माटी "

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छत्तीसगढ़ ( धमतरी) ओम प्रकाश सिंह ।  छत्तीसगढ़ के पावन-माटी
जेमा छटके धान के बाली हे,
उपजाउ हे कन्हार-मटासी
जेहर चन्दन सोनहा-लाली हे।

झमझम ले लागे हे धनहा
डोली-भर्री-बहरा-नार हे,
मेड-पार म राहेर दमके
फुलवा-लाली घपटे डार हे।

किंजर-किंजर के भवरा झूमे
फुलवा के रस पान करे
लहराये धानी के अँचरा
जइसे पुरवाई ह गान करे
        
छत्तीसगढ़ के गुरतुर-भाखा
कोयली कस मीठ बोली हे,
मन के भौरा सुनके नाचे
जइसे संगी के ठिठोली हे।

छत्तीसगढ़ के छतीस-किला
जइसे छत्तीस ठन दुवारी हे,
इहे ल छतीस रोटी-पीठा
जइसे अईरसा-फरा-सोहारी हे।

छत्तीसगढ़ के पेजहा-बासी
अउ अमसूरहाJ आमा-अथान हे,
छप्पन भोग हर जुच्छा लागे
जइसे इही म बसे परान हे।

" रचनाकार "-
"अशोक पटेल " आशु " व्याख्याता-हिंदी तुस्मा,शिवरीनारायण( छ. ग. ) 9827874578 "

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