दन्तेवाड़ा : शासकीय कार्य में ऐसी कौन सी लापरवाही बरतने के कारण महिला पटवारी लल्ली मेश्राम को अनुविभगीय अधिकारी राजस्व द्वारा 28 फरवरी को किया गया- निलंबित।

दन्तेवाड़ा : शासकीय कार्य में ऐसी कौन सी लापरवाही बरतने के कारण महिला पटवारी लल्ली मेश्राम को अनुविभगीय अधिकारी राजस्व द्वारा 28 फरवरी को किया गया- निलंबित।

 




शासन-प्रशासन को इस बात की जानकारी हैं कि महिला पटवारी के पति SPG दिल्ली के पदस्थ हैं।

महिला पटवारी को घोर नक्सल प्रभावित क्षेत्र कमालूर तहसील दन्तेवाड़ा में पदस्थ किया जाना कहाँ का न्याय है ?

छत्तीसगढ़ ( दक्षिण बस्तर दन्तेवाड़ा ) ओम प्रकाश सिंह । महिला पटवारी लल्ली मेश्राम को हल्का कुम्हाररास, तहसील दन्तेवाड़ा द्वारा शासकीय कार्य में लापरवाही बरतने के कारण अनुविभगीय अधिकारी राजस्व द्वारा 28 फरवरी 2022 को निलंबित किया गया था।





गलत के खिलाफ आवाज उठाना कैसे आदेशों की अवहेलना हुई

महिला पटवारी ने मीडिया से चर्चा के दौरान बताया कि राज्य शासन के नियमानुसार किसी भी शासकीय कर्मचारी को 2 वर्ष के बाद ही स्थानान्तरण किया जाता हैं किन्तु मुझे 6 माह में 3 बार स्थानान्तरण किया गया। गलत के खिलाफ आवाज उठाना कैसे आदेशों की अवहेलना हुई।

निराधार आरोप लगाकर पूरे समाज में मेरी छवि को धूमिल किया गया, मानहानि पहुचाई गई ... !
बात करते हुए कई महीनो के अपने दर्द को बयां करते हुए पीड़िता पटवारी अपने आंसू रोक नही पाए और उन्होंने बताया।
पूरे विश्व में महिला सशक्तिकरण की बात की जाती है किंतु दंतेवाड़ा राजस्व विभाग द्वारा बिना किसी लिखित शिकायत के 2 वर्ष पूर्ण हुए एक महिला पटवारी को ही दृष्टिगत रखते हुए किसी अन्य तहसील में स्थानांतरण करना
-एसडीएम एवं तहसीलदार के सभी आदेशों का नियत समय में जवाब देने के बावजूद मुझे निलंबित करना और खुद से यह कारण बताना की मैने आदेशों का पालन नहीं किया !!!
-तहसीलदार का मेरे घर में पुलिस बल लेकर बार बार आना
-मुझे बिना किसी ठोस आधार के पुलिस थाने में बुलवाना, एफआईआर कराने की धमकी देना
-संध्या समय में ऑफिस में बुलाकर मेरे साथ अभद्रता पूर्वक बात करना
- सभी आदर्शो में मुझे अपचारी, लापरवाह कहना
इन सभी प्रकार के व्यक्तिगत द्वेष की भावना से किए गए कार्यवाहियों ने मुझे भीतर से झंझोर दिया, एक महिला के आत्मविश्वास और मनोबल को चूर - चूर करने का कार्य किया। इस दंश को मानसिक तौर पर झेल पाना आसान नहीं है। समाज में हुए उपहास और दिनों दिन किए जा रहे विभागीय अनैतिक कार्यवाहियों की वजह से मुझ अकेली महिला को कहा कहा नहीं दौड़ना पड़ा। मैं कई रातों तक पूरी नींद नहीं ले पाई, किसी भी दिन मानसिक सुकून नहीं रहा। इन सब के बाद भी प्रशासन कहती है की उन्होंने सहानुभूति पूर्वक कार्य किया है ??  अनैतिक आदेश निकलने वाले एसडीएम, तहसीलदार पर कार्यवाही करने की जगह पीड़ित महिला पटवारी को ही उसके हल्के से छः महीनों में ही दूसरा हल्का भेजा जा रहा। पुनः आदेश में बकायदा लिखा जा रहा है की मेरे द्वारा शासकीय कार्य में लापरवाही और अनुशासनहीनता की गई। क्या यह सहानुभूति पूर्वक किया गया विचार है?? आदेश निकालने में किसकी लापरवाही थीं ये सत्य अब सबके सामने उजागर हो चुका है। शासन की दुर्भावना वाली मंशा सबके समक्ष है। अपने ऊपर हो रहे गलत आदेशों के खिलाफ सवाल करना कोई आदेशों की अवहेलना नहीं कहलाती। सभी को बोलने, पूछने और अपने सम्मान को बचाने का संवैधानिक अधिकार है क्या दंतेवाड़ा का राजस्व विभाग अब इसे लापरवाही और अनुशासनहीनता कहना चाहता है ???

महिला पटवारी ने यह भी जानकारी साझा किया, कि मैंने अपने सारे कार्य अनुशासन में रहकर किये हैं और सिविल सेवा आचरण नियम का पालन किया हैं

मेरे द्वारा कभी भी शासकीय कार्य में लापरवाही नहीं बरती गई है मेरे द्वारा सबसे पहले हर शासकीय जानकारी को संबंधित विभाग को भेजा जाता रहा हैं। अपने हल्के के तीनों ग्रामों में प्रत्येक पारा में जाकर घर-घर जाकर कार्य किया गया हैं। मेरे द्वारा दिनांक 9/5/2022 तक अपने ग्राम का कार्य किया गया हैं।

तहसीलदार पुलिस बल ले आकर मेरे घर से सरकारी दस्तावेज ले गई-क्यों

मेरे हल्के के तीनों ग्रामवासियों का तीनों ग्रामों के हस्ताक्षर युक्त 100 कृषकों का आवेदन तहसीलदार, एस डी एम कलेक्टर को दिया गया हैं। मेरे खिलाफ निराधार आरोप लगाये गये हैं जिसकी उच्चस्तरीय जांच होनी चाहिए और दोषियों पर कार्यवाही होनी चाहिए।

सूत्रों से जानकारी मिली है की कामालूर और अधिक संवेदनशील क्षेत्र है। ऐसे में यह भी देखना होगा की एक वर्ष से भी कम अंतराल में ही चौथी बार स्थानांतरित कर हुए महिला पटवारी जो की एक SPG की पत्नी है उन्हे यथावत रखने के बजाए ऐसे नक्सल प्रभावित इलाके में भेजना   कहा तक उचित होगा ??

पन्द्रह वर्षों से तहसीलदार का दन्तेवाड़ा जिले में एक ही स्थान पर पदस्थ हैं-क्यों

राज्य शासन जिला प्रशासन के द्वारा तहसीलदार का स्थानान्तरण नहीं किया जाना संदेहास्पद उतपन्न करता हैं। छः महीनों में बिना किसी शिकायत के एक महिला पटवारी का 3 बार स्थानांतरण और वही इस प्रकार के अनैतिक कार्य का आदेश निकलने वाले तहसीलदार और एसडीएम के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की जाती है






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