दुब्बाटोटा मत्स्य हेचरी के कायाकल्प पर कमिश्नर धावड़े ने जताई खुशी
छत्तीसगढ़ ( जगदलपुर ) बस्तर दर्पण । दुब्बाटोटा में नक्सलियों द्वारा ध्वस्त मत्स्य हेचरी के कायाकल्प पर कमिश्नर श्याम धावड़े ने प्रसन्नता जताई। गुरुवार को सुकमा प्रवास के दौरान कमिश्नर धावड़े ने कोंटा मार्ग में स्थित ग्राम दुब्बाटोटा स्थित मत्स्य हेचरी का अवलोकन किया। इस दौरान कलेक्टर विनीत नंदनवार भी मौजूद थे।
अंदरूनी गांव होने के कारण सलवा जुडूम का प्रभाव दुब्बाटोटा पर भी रहा और मत्स्य प्रसंस्करण का कार्य बंद करना पड़ा। समय का चक्का चला और शासन-प्रसाशन के प्रयास से एक बार फिर से यहाँ के वातावरण में सकारात्मक ऊर्जा का प्रभाव तेज हुआ। आदिवासी अंचलों का विकास और उनके निवासियों को आर्थिक संवर्धन प्रदान करना शासन की प्राथमिकता है, और इसी का नतीजा है की इतने लंबे समय से बंद पड़े मत्स्य बीज प्रक्षेत्र का जीर्णोधार किया गया। आज मत्स्य हेचरी का निर्माण कार्य पूर्ण हो चुका है, और जल्द ही यहां मत्स्य उत्पादन भी प्रारंभ कर लिया जाएगा।
मत्स्य पालन में जिला होगा आत्म निर्भर, ग्रामीणों को आर्थिक स्थिति होगी मजबूत
दुब्बाटोटा में मत्स्य हेचरी शुरू होने पर यहां के ग्रामीणों की आर्थिक स्थिति मजबूत होगी और उन्हें इससे रोजगार मिलेगा। अब तक मछली उतपादन हेतु बीज के लिए सीमावर्ती राज्य ओडिशा, आंध्र प्रदेश, तेलांगना पर निर्भर रहना पड़ता था। मत्स्य हेचरी से क्षेत्र के मत्स्य पालकों को जीविकोपार्जन का साधन तो सशक्त होगा ही साथ ही मछली बीज के लिए दूसरे राज्यों पर निर्भरता पूर्ण रूप से बंद हो जाएगी। जिले भर में मत्स्य हेचरी से बीज लेकर ग्रामीण मछलियों का उत्पादन करेंगे और इसका क्रय-विक्रय होने पर ग्रामीण आर्थिक रूप से सशक्त बनेंगे। जिलेवासियों को स्थानीय स्तर पर ही ताजी मछलियां उपलब्ध होंगी। प्रसंस्करण केंद्र के पुनः प्रारंभ होने से मत्स्य बीज उत्पादन हेतु सुकमा पूर्णतः आत्मनिर्भर हो जायेगा। इसके साथ ही बच्चों में कुपोषण को दूर करने में भी यह सहायक सिद्ध होगा और जिले में सुपोषण अभियान को गति मिलेगी।
कमिश्नर ने की मातागुड़ी के सुंदरता की प्रशंसा
कमिश्नर धावड़े ने दुब्बाटोटा में धानी माता के गुड़ी का अवलोकन भी इस अवसर पर किया। उन्होंने माता गुड़ी के सुंदरता की प्रशंसा की और आसपास के पेड़ पौधों की सुरक्षा के लिए भी निर्देशित किया। उन्होंने पेड़ पौधों के आसपास चबतुरों के निर्माण के संबंध में भी निर्देश दिए। सुकमा जिले में लगभग 300 देवगुड़ी-देवस्थल और मृतक स्थल का विकास किया जा रहा है।
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