गीदम समर कैंप में बच्चों ने बनाएं बस्तर व छत्तीसगढ़ी कला और संस्कृति के प्रतीक
प्रशिक्षकों द्वारा बच्चों को 15 विधाओं पर प्रशिक्षण दिया जारहा है।
छत्तीसगढ़ ( गीदम-दंतेवाड़ा ) ओम प्रकाश सिंह । संस्कृति सामाजिक रूपों, भौतिक लक्षणों, प्रथागत मान्यताओं और मानवीय घटनाओं का परिचय है।कला एक व्यक्ति के अनुभवों, भावनाओं और प्रतिभा गुणों की रचनात्मक अभिव्यक्ति है। जिला प्रशासन दंतेवाड़ा एवं स्कूल शिक्षा विभाग द्वारा गीदम विकास खंड के गीदम एवं हउरनार संकुल स्तरीय समर कैंप शासकीय माध्यामिक शाला गीदम में आयोजित किया जा रहा है जो 24 मई तक संचालित होगा।
प्रशिक्षकों द्वारा बच्चों को 15 विधाओं पर प्रशिक्षण दिया जारहा है। बच्चों ने अपने प्रतिभा व कौशल से बस्तर तथा छत्तीसगढ़ी कला एवं संस्कृति के प्रतीक पारम्परिक मटकी सजाव, धनुष व तीर, तुंबा सजाव, मिट्टी के मूर्तियां, छिंद पत्ते गुलदस्ता व बैग, घर सजाव आकृतियां, पर्यावरण संरक्षण व जल संरक्षण चित्रकाल, बहुत ही सुन्दर और आकर्षक बनाए।
गीदम विकास खंड शिक्षा अधिकारी शेख रफीक, सहायक खण्ड शिक्षा अधिकारी भवानी पूनेम, खंड स्रोत समन्व्ययक अनिल शर्मा ने बच्चों द्वारा बनाए चीजों का अवलोकन किया और प्रेरणा देते हुए शुभकामनाएं दी। ग्रीन केयर सोसायटी इंडिया के डायरेक्टर तथा भारतीय विज्ञान कांग्रेस संस्था, विज्ञान व प्रदौगिकी विभाग भारत सरकार के विशेषज्ञ अमुजुरी विश्वनाथ ने कहा कि देश व प्रदेश विकास में कला एवं संस्कृति का महत्वपूर्ण योगदान होता है।
यह साझा दृष्टिकोण, मूल्य, प्रथा एवं एक निश्चित लक्ष्य को दिखाता है। सभी आर्थिक, सामाजिक एवं अन्य गतिविधियों में कला एवं संस्कृति रचनात्मकता का समावेश होता है। हाउरनार संकुल समन्व्ययक जितेंद्र चौहान एवं गीदम संकुल समन्व्ययक योगेश सोनी ने जरूरत सामग्री उपलब्ध कराए और गतिविधियाें को संचालित किया।
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