वर्तमान समय में सायबर क्राईम की कार्यप्रणाली को देखते हुए सायबर टीम द्वारा जिले के अलग अलग क्षेत्रों में सायबर जागरूकता कार्यक्रम आयोजित-एसपी, जितेन्द्र सिंह मीणा।
छत्तीसगढ़ ( बस्तर-जगदलपुर ) ओम प्रकाश सिंह कलेक्टर । उप महानिरीक्षक एवं वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक जितेन्द्र सिंह मीणा के मार्गदर्शन में बस्तर पुलिस के द्वारा अपराधियों पर लगातार कार्यवाही किया जा रहा है। वर्तमान समय में सायबर क्राईम की कार्यप्रणाली को देखते हुए सायबर टीम द्वारा जिले के अलग अलग क्षेत्रों में सायबर जागरूकता कार्यक्रम आयोजित कर लोगों को सायबर संबंधी अपराध, सायबर अपराध से बचाव के तरीके, व्हाटसअप हैकिंग, फेसबुक प्रोफाईल हैकिंग एवं ऑनलाईन फ्राड के तरीकों एवं इनके बचाव की तरीकों की जानकारी देकर लोगों को निरंतर जागरूक पुलिस के द्वारा किया जा रहा है। वर्तमान समय में सायबर ठगी के मामलों में सायबर अपराधियों के द्वारा चिकित्सा क्षेत्र में ठगी किया जा रहा है।
ऑनलाईन दवाई डिलीवरी के नाम पर-
मरीजों एवं उनके परिजन के द्वारा डाक्टर द्वारा लिखी गई पर्ची से दवाईयॉ क्रय करने हेतु ऑनलाईन ऐप के माध्यम से आर्डर किया जाता है। तत्पश्चात सायबर फ्राड के द्वारा पीड़ित पक्ष को फोन करके दवाई की डिलिवरी का हवाला देते हुए पीड़ित पक्ष के मोबाईल में एक लिंक भेजकर आर्डर के कर्न्फमेशन हेतु लिंक को क्लीक कर एक रूपये, पांच रूपये या मामूली रकम यूपीआई ट्रान्जेक्शन करने पीड़ित को कहा जाता है। जैसे ही पीड़ित द्वारा लिंक को क्लीक कर यूपीआई अथवा अन्य ऐप के माध्यम से मामूली रकम भेजा जाता है, वैसे ही पीड़ित के बैंक खाता में जमा राशि को अपराधियों द्वारा आहरित कर लिया जाता है।
चिकित्सकों को पेसेंट भेजने के नाम पर:-
सायबर अपराधियों के द्वारा क्षेत्र के डाक्टर/चिकित्सकों को फोन अथवा विडियो कॉल करके उनके पास अधिक से अधिक पेसेंट भेजने की बात कहते है और मरीज भेजने के बदले कमीशन की मांग करते हैं एवं कमीशन के नाम पर लिंक भेजकर ऑनलाईन पेमेंट लेकर अथवा लिंक के माध्यम से क्लिक करवाकर ठगी का शिकार बनाया जा रहा है।
रिमोट सेन्सिंग ऐप डाउनलोड करवाकर :-
अपराधियों द्वारा पीड़ित को फोन कर उसके घर के बिजली कनेक्शन कटने अथवा दूसरी समस्याओं के संबंध में अवगत कराकर समस्या के निराकरण हेतु मोबाईल ऐप जैसे एनी डेस्क, टीम व्यूअर, क्वीक सपोर्ट, गूगल फार्म जैसे ऐप डाउनलोड करने के लिए बोला जाता है जैसे ही कोई व्यक्ति उक्त ऐप को संचालित करता है वैसे ही पीड़ित की सभी जानकारी अपराधियों के पास चली जाती है और उनके द्वारा आहरित कर लिया जाता है।
👉 2. ऑनलाईन आर्डर एवं डिलिवरी के दौरान अक्सर अपराधियों द्वारा 1/-रू, 5/-रू, या 10/-रू. कन्फर्मेशन हेतु भेजने के लिए बोला जाता है उक्त राशि भेजने के लिए बोला जाता है जो बहुत ही मामूली रकम होता है जिसके भेजने के दौरान अपराधी द्वारा आपकी महत्वपूर्ण जानकारी लेकर ठगी करते हैं।
👉 3. अनवांटेड ऐप जैसे एनी डेस्क, टीम व्यूअर, क्वीक सपोर्ट, गूगल फार्म इत्यादि को मोबाईल में डाउनलोड ना करें यह रिमोट सेन्सिंग ऐप है जिससे आपकी डाटा को आसानी से चोरी किया जाता है।
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