दन्तेवाड़ा : गीदम अस्पताल में मरीजों के जान से खिलवाड़, टांका खुले खून से लथपथ मरीज को बिना उपचार के ही भगा दिया
पूर्व जिला पंचायत उपाध्यक्ष मनीष सुराना की सक्रियता और दंतेवाड़ा कलेक्टर की गंभीर पहल पर मरीज को मिला उपचार बची जान
जिम्मेदारियों से पल्ला झाड़ रहे गीदम बीएमओ
छत्तीसगढ़ ( गीदम-दन्तेवाड़ा ) ओम प्रकाश सिंह । अस्पतालों में डॉक्टरों से ज्यादा पावरफुल स्टाफ नर्स होते हैं इनकी मनमर्जी और लापरवाही का कोई पैमाना नहीं डॉक्टरी सलाह से ज्यादा स्टाफ की मनमानी हावी है ऐसा ही मामला दंतेवाड़ा जिले के ब्लॉक गीदम के स्वास्थ्य केंद्र से प्रकाश में आया है जहां मरीज की उपचार करने के बजाए अस्पताल स्टाफ ने अपने कर्तव्य से पल्ला झाड़ते हुए मरीज को भगा दिया बता दें कि मरीज के पेट में टांके लगे थे जोकि खुल गया था और मरीज खून से लथपथ रहा ऐसे में स्थानीय अस्पताल में मरीज को लाया गया तो उसे बिना किसी ट्रीटमेंट के ही स्थानीय स्टाफ नर्सों ने दंतेवाड़ा जाकर इलाज कराने की नसीहत दे डाली मरीज का प्राथमिक उपचार भी नहीं किया गया मरीज हारम निवासी बताया जा रहा है।
ऐसे हुआ मामला उजागर और बची जान
गीदम अस्पताल में स्टाफ नर्स बगैर इलाज के जब मरीज को अस्पताल से नसीहत देते हुए भगा दिया तो देखते ही देखते यह बात गीदम में हो-हल्ला हुआ मौके पर पूर्व जिला उपाध्यक्ष मनीष सुराना ने मरीज की मदद की मामले को गंभीरता से लेते हुए दंतेवाड़ा कलेक्टर को जानकारी दी और जिला कलेक्टर विनीत नंदनवार ने त्वरित आवश्यक कदम उठाते हुए दंतेवाड़ा जिला अस्पताल में मरीज को भर्ती करवाते हुए उचित उपचार करवाया और इस तरह से मरीज की जान बच गई।
स्टाफ नर्सों की मनमानी पर गीदम बीएमओ का कोई नियंत्रण नहीं
खंड चिकित्सा अधिकारी गीदम को स्टाफ नर्सों की मनमानी पर आवश्यक कार्रवाई करनी चाहिए इस तरह से मरीजों की जान से खिलवाड़ करने का हक किसी भी अस्पताल प्रबंधन को नहीं है मगर बीएमओ की उदासीनता उनकी निष्क्रियता ही अस्पताल प्रबंधन के इस तरह के उल जलूल हरकतों पर शय से दे रहा है जिसका खामियाजा मरीज उठा रहे हैं हारम निवासी उक्त मरीज का मामला गरमाया त्वरित कार्रवाई हुई तब उसकी जान बच पाई अन्यथा ऐसे कई मामले हैं जहां अस्पताल प्रबंधन की लापरवाही के चलते मरीज अपने जान से हाथ धो बैठते हैं जिला प्रशासन को इस तरह के गैर जिम्मेदाराना हरकतों पर अस्पताल प्रबंधन पर अंकुश लगाते हुए ठोस कार्रवाई करनी चाहिए ताकि ऐसे मामलों की पुनरावृत्ति ना हो और मरीजों की जान से खिलवाड़ ना हो सके।
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