दन्तेवाड़ा : जांवग गीदम 231 वीं वाहिनी केन्‍द्रीय रिजर्व पुलिस बल के प्रांगण में हर्षोउल्‍लास से मनाई गई- अंबेडकर जयंती।

दन्तेवाड़ा  : जांवग गीदम 231 वीं वाहिनी केन्‍द्रीय रिजर्व पुलिस बल के प्रांगण में हर्षोउल्‍लास से मनाई गई- अंबेडकर जयंती



छत्तीसगढ़ ( जावंगा गीदम-दन्तेवाड़ा ) ओम प्रकाश सिंह । 231 बटालियन जावंगा गीदम दंतेवाड़ा के प्रांगण में केन्‍द्रीय रिर्जव पुलिस बल के द्वारा भारत रत्‍न डॉ. बाबासाहेब भीम राव आंबेडकर जी की 132 वीं जयंती पर बडे हर्षोउल्‍लास से भव्‍य कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इस कार्यक्रम में सुरेन्‍द्र सिंह कमाण्‍डेंट, जयन पी सैमुअल, द्वितीय कमान अधिकारी, मुकेश कुमार चौधरी उप कमाण्‍डेंट, प्रताप कुमार बेहरा उप कमाण्‍डेंट, डॉ० बरनीधरण, चिकित्‍सा अधिकारी और अधीनस्‍थ अधिकारी एवं जवान मौजूद थे। 



सुरेन्‍द्र सिंह कमाण्‍ड़ेंट 231 बटालियन ने इस शुभ दिन को संबोधित करते हुए कहा कि संविधान निर्माता डॉ. भीमराव अंबेडकर के जीवन और विरासत को सम्मान देने के लिए प्रत्‍येक वर्ष 14 अप्रैल को अम्बेडकर जयंती मनाई जाती है। डॉ. बी.आर. अम्बेडकर का जन्म 14 अप्रैल 1891 में मध्‍य प्रदेश के इंदौर शहर में स्थित महू में हुआ था डॉ. भीमराव अम्बेडकर ने अपने जीवन काल में समानता के लिए संघर्ष किया और अपना पूरा जीवन देश के लिए अर्पित कर दिया। संविधान निर्माता के रूप में उनके योगदान के लिए देश सदैव ऋणी रहेगा। यही कारण है कि उन्हें 'भारतीय संविधान का जनक' भी कहा जाता है। 



आधुनिक भारत की नींव तैयार करने में उनकी महती भूमिका रही। अप्रैल 1990 में डॉ. अंबेडकर जी को मरणोपरांत भारत रत्न पुरस्कार मिला था। डॉ. भीम राव अंबेडकर को समानता और न्याय का प्रतीक माना जाता है। वह एक महान सामाजिक कार्यकर्ता थे। सभी भारतीयों में समानता लाने एवं देश के समग्र विकाश के लिए जरूरी संस्‍थाओं जैसे भारतीय रिजर्व बैंक, वित्‍त आयोग एवं अन्‍य संस्‍थाओं की स्‍थापना के लिए उन्होंने कड़ी मेहनत की। बाबासाहेब का नारा था कि शिक्षा शेरनी का दूध है और जो उसे पिएगा वह शेर की तरह दहाड़ेगा।

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