जगदलपुर : जनपदों में गोबर खरीदी हुआ " गुड गोबर " सचिव संघ के हड़ताल में जाने के बाद मुख्य कार्यपालन अधिकारियों के लिए बना गोबर खरीदी- हेडेक

 

जगदलपुर : जनपदों में गोबर खरीदी हुआ " गुड गोबर " सचिव संघ के हड़ताल में जाने के बाद मुख्य कार्यपालन अधिकारियों के लिए बना गोबर खरीदी- हेडेक





छत्तीसगढ़ ( बस्तर-जगदलपुर ) ओम प्रकाश सिंह । भूपेश बघेल  सरकार ने गोधन न्याय योजना के तहत पशु पालकों से लेकर किसानों और बेरोजगारों को रोजगार देने के चलते गोबर खरीदी की शुरुआत की थी मगर अब जनपदों में गोबर खरीदी की योजना लड़खड़ा ने लगी है इन दिनों अपनी मांगों को लेकर पूरे प्रदेश में सचिव संघ जनपदों के सामने धरना देकर बैठे हैं सचिवों के हड़ताल पर चले जाने से गोबर खरीदी की योजना पूरी तरह से गुड़ गोबर को चला है वही जनपदों में मुख्य कार्यपालन अधिकारियों पर फुल प्रेशर है निर्धारित लक्ष्य पर गोबर खरीदी की जाए सचिव संघ के हड़ताल पर चले जाने से टारगेट तक पहुंचने की बात तो दूर की है बमुश्किल किलो में गोबर खरीदा जा रहा है।



प्रशासन का तलब और मुख्य कार्यपालन अधिकारियों का हेडेक

यह बताना लाजमी होगा कि गोबर खरीदी के मामले में जनपद पंचायत भोपालपटनम के पूर्व सीईओ और सुकमा जिले से जनपद पंचायत सुकमा पूर्व सीईओ निलंबित और लाइन अटैच हो गए थे समय-समय पर जिला प्रशासन की ओर से गोबर खरीदी को लेकर जनपदों के मुख्य कार्यपालन अधिकारियों को कारण बताओ नोटिस भी जारी किया जाता रहा है खरीदी की गुणवत्ता को देखते हुए प्रशासन की तलब जनपदों में बनी रहती है।

गोधन न्याय योजना के पीछे सरकार की मंशा क्या

इस योजना में पशुपालकों और ग्रामीणों से 5 /- रुपए प्रति किलो की दर से गोबर खरीदा जाता है. खरीदे गए गोबर से कंपोस्ट खाद बनाया जाता है, जिसके बाद किसानों को कम दाम पर जैविक खाद उपलब्ध कराई जाती है.
छत्तीसगढ़ में गोधन न्याय योजना  जैविक खेती को बढ़ावा देने के लिए और ग्रामीणों की आर्थिक स्थिति को मजबूत करने के मकसद से शुरू किया गया था. जिसमें जैविक खेती को बढ़ावा पशुपालकों की आमदनी में वृद्धि.फसलों की चराई पर रोक लगाना. जैविक खाद के उपयोग को बढ़ावा देना.. स्थानीय स्तर पर जैविक खाद की उपलब्धता.. भूमि की उर्वरता में सुधार..रासायनिक उर्वरक उपयोग मे कमी लाना..ग्रामीण एवं शहरी स्तर पर रोजगार के नए अवसर मिल सके।
मगर सचिव संघ के हड़ताल पर चले जाने से गोबर खरीदी चरमरा गई है। जनपदों में मुख्य कार्यपालन अधिकारियों पर कहीं मनमानी लापरवाही तो कहीं और नियमितता के आरोप लगते रहे हैं।

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