छत्तीसगढ़ : बस्तर में पुलिस व माओवादी के बीच मुठभेड़ को लेकर माओवादी नेताओं का बड़ा बयान।

छत्तीसगढ़ : बस्तर में पुलिस व माओवादी के बीच मुठभेड़ को लेकर माओवादी नेताओं का बड़ा बयान।

बस्तर डिवीजन कमेटी के सचिव साईनाथ व दक्षिण बस्तर डिवीजन कमेटी के सचिव ने सभी मुठभेड़ को फर्जी करार कर दिया

सुकमा, दन्तेवाड़ा जिलों के साधारण ग्रामीणों को अरेस्ट करने बंद करें!

गिरफ्तार व्यक्तियों को तुरंत रिहा करने की मांग करें!

सरकारों द्वारा बढ़ रही दमन, अत्याचार जनता में प्रतिरोध को मांग करती हैं!

दन्तेवाड़ा, सुकमा जिलों में साधारण जनता पर पुलिस प्रशासन द्वारा किया जा रहे अवैध गिरफ्तारियाँ प्रताड़ना बंद करों.

गिरफ्तार व्यक्तियों को रिहा करने की मांग लेकर आंदोलन करें!




छत्तीसगढ़ ( बस्तर-जगदलपुर ) ओम प्रकाश सिंह । भारत की कम्युनिस्ट पार्टी (माओवादी) दरभा डिविजनल सचिव साईनाथ ने प्रेस विज्ञप्ति जारी कर आरनपुर के समीप डिआरजी बलों पर पीएलजीए ने हमलें की. इस हमले के एक दिन पहले अप्रैल माह 25 तारीख के दिन काकाड़ गाँव के ग्रामीणों पर फायरिंग की उसमे वेट्टी सन्ना घायल हुये थे। 26 अप्रैल से पुलिस प्रशासन साधारण ग्रामीणों पर बदला लेने की भावना से जुल्म ढहा रहे हैं। गोंडेरास, काकाड़, नहोड़ी, पोटाली, और नीलावाया के ग्रामीणों को दसियों की संख्या में आरेस्ट कर रहे हैं। गोंडेरास गाँव के मड़काम भीमा, गोंसे आड़मे, कलमु जोगी, निलावाया गाँव के मड़काम हुंगा, मड़काम केशा, मड़काम लखमा को मई 6 तारीख आरेस्ट किये।
काकाड़ पंचायत के मेडूमपारा गाँव के वेट्टी सुक्का, वेट्टी दुड़वा इन दोनों को आरेस्ट किया, वेट्टी संतोष, मड़काम राजू, मड़का बण्डू मड़काम हड़मा को 1 मई के दिन आरेस्ट किये थे। नेली काकाड़, पटेलपारा के एमला सुनील, एमला देवा को 5 मई के दिन आरेस्ट किये थे। गोंडेरास गाँव के एमला भीमा, दिरदो जोगी, कलमु आड़मे को 6 मई के दिन आरेस्ट किये, पोटाली पंचायत के महेश को आरेस्ट किये थे।

नहोड़ी गाँव के मुचाकी माड़काल धान कूटवाने के लिए अरनपुर जाते वक्त पुलिस ने पकड़े मुचाकी माड़काल के गाड़ी का 10 हजार पैसा पुलिस ने चोरी किये हैं।

उपरोक्त गाँव वालों के साथ-साथा पुलिस द्वारा और भी गिरफ्तारियां जारी हैं। गिरफ्तार व्यक्तियों को 24 घण्टे के अन्दर न्यायालय के सामने पेश करना हैं उन्हें रिमांड पर भेजना या जमानात पर रिहा करना, ये न्यायालय फैसला करेगी. लेकिन न्यायालाय करने की काम भी पुलिस ने करने लगे हैं। बिना वारंट से पकड़कर ले जाना, झूटा केस लगाना, पुलीस लाक-अप में थर्ड डिग्री यातनायें देते हुई उन पर लगाया गया केसों को काबूल करने के लिए मजबूर कर रहे हैं।

पुलिस लाक-अप में गिरफ्तार हुई व्यक्तियों का जान जाने का भी खतरा हैं।

इसलिए गिरफ्तार हुई व्यक्तियों का परिवारों के सदस्य और यहां के जनता नारज और आंदोलित हैं। कभी किसी को भी पुलिस पकड़ेंगे ऐसी आशांकाओं के साथ दहाशत में रह रहें हैं।
भारत संविधान द्वारा नागरिकों को दिये गाये मौलिक अधिकारों को इस्तेमाल करने वालों पर जुल्म ढहाना, मुठभेड़ों के नाम से हत्या करना पुलिस प्रशासन का दैनांदिन कृत्य बन गई।

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