छत्तीसगढ़ : बीजापुर दक्षिण सब जोनल ब्यूरो सीपीआई ( माओवादी ) प्रवक्ता ने जारी किया प्रेस वक्तव्य-समता।
ब्राह्मणीय हिंदुत्व फासीवादी मोदी सरकार RBI के द्वारा करवाये गये '2000रू.' नोट बंदी के खिलाफ जुझारू आंदोलन करो !
छत्तीसगढ़ ( बीजापुर ) ओम प्रकाश सिंह । 2023 मई 19 तारीख आरबीआई ने 2000रू. नोट को सर्कुलेशन से रद्ध कर दिया है। 2016 में फासीवादी मोदी खुद नोट बंदी को ऐलान किया था आज आरबीआई के माध्यम से करवाया है। 2016 में नोट बंदी समय में 106 जन मारे गये थे सूक्ष्म, छोटे और मंझोला कम्पनियां 1,40,000 बंद पड़ गये थे 40 करोड़ आबादी जनता काम खो गये थे।
फिर भी काला धन का पता नहीं मिला था. उस समय नोट बंदी के कारण देश का अर्थ व्यवस्था को 5 लाख करोड़ों का नुकसान हुआ था। यह धन राशि फिर जनता से कर के रूप में वसूला था।
आज देश का जीडीपी 250 लाख करोड़ हैं. 94% आबादी असंगठित क्षेत्र में जीवन यापन कर रहे हैं.. कुछ आर्थिक विश्लेषक लोग बताते है कि 2000रू. नोट पूरा नगद में 10.48%, इसका रद्ध करने से जनता को कोई नुकसान नहीं यह गलत आंकलन है। ब्राह्मणीय हिंदुत्व फासीवादियों ने देश का अर्थ व्यवस्था को डिजिटल अर्थ व्यवस्था में बदलने का काम पर लगा है।
खासकर अमिरिकी डिजिटल लेन-देन चलाने वाले कंपनियां और उसका संबंध में रहे रिलियंस, अदानी, टाटा, वगैराह कंपनियों को फायदा पहुंचाने के लिए यह नोट बंदी हुआ है।
इस नोट रद्ध के चलते बैंकों में डिपॉजिट का पैसा बढ़ेगी बढ़े हुए पैसे को बैंको ने कार्पोरेट कंपनियों को ऋण देगा, इसके साथ-साथ ई-कामर्स कंपनियों का व्यापार जोर पकड़ेगा। सेवा कर के रूप में उन कंपनियों का आमदनी बढ़ेगा।
कुल मिलाकर साम्राज्यवादी डिजिटल कंपनियां, ई-कामर्स कंपनियां रिलियंस और अदानी जैसे दलाल पूंजीपति कंपनियों का फायदा के लिए नोट बंदी किया है। यह 90 प्रतिशत जनता को नुकसान देने वाला है। 2024 चुनाव के बाद भी अगर भाजपा सत्ता में आये तो नोट बंदी और भी करेगी, इस प्रकार बीजेपी-आरएसएस साम्राज्यवादी और दलाल पूंजीपतियों का सेवा करने में नंबर-1 बन गया है।
बीजेपी नंबर-1 देश द्रोही है।
बाकी संसदीय पार्टियां भी वही साम्राज्यवादी अनुकूल नीतियों को लागू कर रहे हैं। इस लिए उन पार्टियों ने उस नोट बंदी के खिलाफ कोई संघर्ष नहीं कर रहे हैं।
डिजिटल अर्थ व्यवस्था में जनता का पैसा पूरा का पूरा बैंक में रहेगा. जनता अपने मेहनत का फल कार्पोरेट कंपनियों के हाथ में हवाले करना पड़ता है. उस संपत्ति पर पूरा कंट्रोल उन्ही कंपनियों को होता है. यह बहुत भयानक लूट है। दुनिया में कोई भी देश में ऐसा डिजिटल अर्थ व्यवस्था मौजूद नहीं है। इस लिए डिजिटल अर्थ व्यवस्था के खिलाफ भी लड़ना है।
देश के अंदर जनवादी अर्थ व्यवस्था होना चाहिए। देश का प्रकृतिक संपत्ति संसाधन और उत्पादन साधन जनता का होना चाहिए इसको साकर करने के लिए एक वैकल्पिक व्यवस्था होना चाहिए।
सीपीआई (माओवादी) वैकल्पिक कार्य-भार लेकर आगे बढ़ रही है, छत्तीसगढ़, झारखंड में वैकल्पिक जनताना सरकार (क्रांतिकारी जन कमेटी) बनाकर क्रांतिकारी आंदोलन को नेतृत्व कर रही है।
हम अनुरोध करते हैं कि किसान, मजदूर, कर्मचारी छात्र- नवजवान, दलित, आदिवासी महिलाएं, धार्मिक अल्पसंख्यक लोग इस क्रांतिकारी आंदोलन में शामिल होकर वैकल्पिक व्यवस्था बनाने में अपना योगदान देवें।
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