छत्तीसगढ़ : सुकमा नक्सलियों की केंद्रीय कमेटी के पोलित ब्यूरो सदस्य कटकम सुदर्शन की हार्ट अटैक से मौत। नक्सलियों की केंद्रीय कमेटी के प्रवक्ता अभय ने प्रेस नोट जारी कर दी जानकारी। 31 मई को माओवादियों के गोरिल्ला ज़ोन में हुई है आनंद उर्फ़ कटकम सुदर्शन की मौत। माओवादियों ने आनंद की मौत पर देश भर में 5 जून से 3 अगस्त तक संस्मरण सभाएँ करने का आह्वान किया।

छत्तीसगढ़ : सुकमा नक्सलियों की केंद्रीय कमेटी के पोलित ब्यूरो सदस्य कटकम सुदर्शन की हार्ट अटैक से मौत।

नक्सलियों की केंद्रीय कमेटी के प्रवक्ता अभय ने प्रेस नोट जारी कर दी जानकारी।

31 मई को माओवादियों के गोरिल्ला ज़ोन में हुई है आनंद उर्फ़ कटकम सुदर्शन की मौत।

माओवादियों ने आनंद की मौत पर देश भर में 5 जून से 3 अगस्त तक संस्मरण सभाएँ करने का आह्वान किया।






छत्तीसगढ़ ( सुकमा ) ओम प्रकाश सिंह ।  भारती की कम्युनिस्ट पार्टी (माओवादी) केंद्रीय कमेटी, पोलित ब्यूरो सीनियर सदस्य कामरेड आनंद ( कटकम सुदर्शन ) गंभीर अस्वस्थता के कारण 2023 मई 31 तारीख के दिन दोपहर 12:20 बजे दण्डकारण्य के गेरिल्ला जोन में आखरी सांस ली। क्रानिक ब्रांकाईटिस, मधुमेह, अधिक रक्तचाप (ब्लड प्रेशर) समस्यओं से पीड़ित होने की कारण आखरी में हृदय गति रुक जाने से शहादत प्राप्त की. सैकड़ो की संख्या में पार्टी, जनमुक्ति छापामार सेना (पीएलजीए) कार्यकर्ताओं, नेताओं, कमाण्डरों ने उनका संस्मरण सभा में शामिल होकर क्रांतिकारी रिवाजों के साथ अंत्येष्टी की उनके शहादत पर सीपीआई (माओवादी) केंद्रीय कमेटी तीव्र दुःख व्यक्त करती हैं। उन्हें क्रांतिकारी जोहार अर्पित करती है। उनकी जीवनसाथी, उनके परिवार सदस्यों व बंधू मित्रों को सहानुभूति, संवेदन प्रकट करती है।




देशभर में जून 5 से अगस्त 3 तक गांवों, शहरों, महानगरों, स्कूल-कालेजों, विश्वविद्यालयों, औद्योगिक एवं सेवा क्षेत्रों की सभी कार्यस्थलों में कामरेड आनंद (दुला दादा) संस्मरण सभायें आयोजन कर भारतीय क्रांति के लिए उनके द्वारा दी गई योगदान को याद करने, उनके शहादत को ऊंचा उठाने के लिए देश की जनता को केंद्रीय कमेटी आह्वान करती कामरेड आनंद ने 69 साल पहले बेल्लमपल्ली शहर के एक मजदूर परिवार में जन्म लिया था. महान नक्सलबाड़ी, श्रीकाकुलम संघर्षों के प्रेरणा से 1974 में मइनिंग डिप्लोमा छात्र के रूप में रहते हुए उन्होंने क्रांतिकारी संघर्ष में कदम
रखा, 1974 में रेडिकल छात्र संगठन निर्माण करने में सक्रिय भूमिका निभाया था। बाद में बेल्लमपल्ली पार्टी सेल सदस्य बनकर सिंगरेणी मजदूर संघर्ष, रेडिकल छात्र युवा संघर्षों में मुख्य भूमिका निभाया 1978 में लक्सेट्टीपेटा-जन्नारम इलाका में पार्टी ऑर्गनाइजर की जिम्मेदारी लेकर किसानों को क्रांतिकारी संघर्ष में गोलबंद किया। 1980 में आदिलाबाद जिला कमेटी सदस्य होकर दण्डकारण्य इलाकों में क्रांतिक को विस्तार कर लिए पार्टी द्वारा की गई प्रयास में भाग लिया इसके तहत आदिलाबाद जिले के आदिवासी किसानों को क्रांतिकारी संघर्ष में गोलबंद किया। 



उसके बाद वे जिला कमेटी सचिव की जिम्मेदारी लिया था। इंद्रवेल्ली आदिवासी किसान संघर्ष के लिए वे प्रत्यक्ष रूप में नेतृत्व प्रदान किया. 1987 में दण्डकारण्य फॉरेस्ट कमेटी के लिए चुनकर दण्डकारण्य क्रांतिकारी संघर्ष के निर्माताओं में से वे भी एक मुख्य भूमिका निभाया 1995 में उत्तर तेलंगाना स्पेशल जोनल कमेटी सचिव की जिम्मेदारी लिया। उसी साल अखिल भारतीय विशेष अधिवेशन (ए.आई.एस.सी) में केंद्रीय कमेटी सदस्य के रूप में चुना गया. 2001 में हुई। भारत की कम्युनिस्ट पार्टी (पीपुल्सवार ) की 9वीं कांग्रेस में और एक बार केंद्रीय कमेटी सदस्य के रूप में चुनकर पोलित ब्यूरो सदस्य बन गया. देशव्यापी क्रांतिकारी आंदोलन को समन्वय के साथ चलाने के लिए उस दौरान पार्टी रीजनल ब्यूरोओं का निर्माण किया. तब वे सेंट्रल रीजनल ब्यूरो (सीआरबी - मध्य रीजनल ब्यूरो) सचिव की जिम्मेदारी लिया 2004 में भारत की कम्युनिस्ट पार्टी (पीपुल्सवार), माओइस्ट कम्युनिस्ट सेंटर ऑफ इंडिया ( एम. सी. सी. आइ) विलय होकर भारत की कम्युनिस्ट पार्टी (माओवादी) आविर्भाव हुआ। 2007 में हुई एकता कांग्रेस- 9वीं कांग्रेस में फिर से वे केंद्रीय कमेटी व पोलित ब्यूरो सदस्य होकर मध्य रीजनल ब्यूरो सचिव की जिम्मेदारी निभाते आया 2001 से 2017 तक वे मध्य रीजनल ब्यूरो (सीआरबी) सचिव की जिम्मेदारी संभाला. अस्वस्थता के चलते स्वेच्छापूर्वक सी. आर. बी सचिव के जिम्मेदारि से हटके सी. आर. बी एम के रूप में, पोलित ब्यूरो सदस्य के रूप में अपनी भूमिका निभाता रहा सी. आर. बी सचिव के रूप में रहते समय सी. आर. बी मीडिया प्रवक्ता के रूप में, विगत दो सालों से केंद्रीय कमेटी मीडिया प्रवक्ता के रूप में सक्षम काम किया।





नक्सलबाड़ी, श्रीकाकुलम संघर्ष के बाद के समय की पहली पीढ़ि के क्रांतिकारी नेताओं में से एक सक्षम नेता के रूप में वे लगभग 5 दशकों तक भारत की क्रांति के लिए योगदान दी. इस क्रांतिकारी आंदोलन के लम्बे प्रस्थान में अनेक मुख्य जिम्मेदारियां लेकर सक्षमता के साथ निभाया. सिंगरेणी, उत्तर तेलंगाना, आंध्रप्रदेश, दण्डकारण्य, भारतीय क्रांतिकारी आंदोलन के निर्माताओं में वे भी एक रहा. पार्टी कार्यकर्ताओं, नेताओं, पीएलजीए योद्धाओं, कमाण्डारों तथा पूरे क्रांतिकारी शिविर के लिए उनका योगदान हमेशा प्रेरणादायक स्रोत बनकर रहेगा. आदिलाबाद जिला क्रांतिकारी आंदोलन को निर्माण के लिए वे लक्सेट्टीपेटा इलाके में भू-संबंधों को अध्ययन किया। 1990 में केंद्र-राज्य सरकारें हमारी पार्टी पर रहा अघोषित प्रतिबंध को हटाया. उस समय पूरे उत्तर तेलंगाना में जमींदारों के जमीन कब्जा करने के लिए पार्टी आह्वान किया। इन संघर्षों के दौरान आदिलाबाद जिले में भू-संबंधों को अध्ययन किया. उत्तर तेलंगाना, आंध्रप्रदेश में वर्ग संघर्ष के कारण और साम्राज्यवाद भूमंडलीकरण नीतियों की अमल के कारण कृषि उत्पदान संबंधों में हुई बदलावों को 2008 से 2012 के बीच विस्तार व गहराई से अध्ययन कर उस इलाके के कृषि क्षेत्र में आये विकृत पूंजीवादी उत्पादन संबंधों को विश्लेषण किया. उस विश्लेषण के आधार पर बदली हुई सामाजिक परिस्थितियों में अपनाने की कृषि क्रांति के वर्ग संघर्ष कार्यक्रम को बनाया. 2007 से अस्थाई पीछे हट का शिकार बनी उत्तर तेलंगाना, आंध्रप्रदेश, आंध्रा - ओडिशा सरहद इलाका (एओबी) आंदोलन को फिर से आगे ले जाने के लिए उचित कार्यनीति बनाने में केंद्रीय कमेटी सदस्यों, सी. आर. बी सदस्यों के टीमों के साथ मिलकर सीआरबी सचिव के रूप में सैद्धांतिक, राजनीतिक नेतृत्व प्रदान किया. दूसरी बार की जनवादी पृथक तेलंगाना संघर्ष को सैद्धांतिक नेतृत्व प्रदान किया. बदली हुई सामाजिक परिस्थितियों में अस्थाई पीछेहट के समय में तेलंगाना, एपी, एओबी संघर्षों को आगे ले जाने के लक्ष्य के साथ संयुक्त मोर्चा क्षेत्र में सैद्धांतिक, राजनीतिक, सांगठनिक मार्गदर्शन देने की सीसी-सीआरबी टीमों के साथ काम किया. ब्राह्मणीय हिंदुत्व फासीवाद के विरोध में केंद्रीय कमेटी द्वारा लिया गया कार्यभार को उपयुक्त संयुक्त मोर्चा मंचों को निर्माण कर चलाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाया. पीपुल्सवार पार्टी में 1985 1991 में उभरी संकटों में वामपंथी', दक्षिणपंथी अवसरवादी लाइनों को हराने में मुख्य भूमिका निभाया. 2013 में सेंट्रल रीजियन में लिया गया बोल्शिविकरण अभियान के लिए सैद्धांतिक, राजनीतिक मार्गदर्शन प्रदान किया। इस बीच में पार्टी द्वारा बनाया गया 'भारत देश की उत्पादन संबंधों में बदलाव- हमारे कार्यक्रम, राष्ट्रीयता सवाल- हमारा दृष्टिकोण, जाति सवाल- हमारा दृष्टिकोण, केंद्रीय राजनीतिक-सांगठनीक समीक्षा दस्तावेजों को बनाने में मुख्य भूमिका निभाया. 2004 से अलग-अलग समयों में क्रांति, लाल पताका, पीपुल्सवार, पीपुल्समार्च पत्रिकाओं के लिए संपादक के रूप में जिम्मेदारी लेकर सक्षम तरीका से चलाया। आदिलाबाद जिला कमेटी, उत्तर तेलंगाना स्पेशल जोनल कमेटी, सी.आर.बी सचिव के रूप में सक्षम तरीके से जिम्मेदारियां निभाकर पार्टी कमेटियों में जनवादी केंद्रीयता अमल करने में एक शानदार नमूना स्थापित किया।





कामरेड आनंद अपनी 5 दशकों के क्रांतिकारी आंदोलन के कार्य के जरिए भारत देश में साम्राज्यवाद को दलाल नौकारशाही पूंजीवादी, सांमतवाद को उन्मूलन कर देश में सही राष्ट्रीय मुक्ति व सही जनवाद को स्थापित करने के लिए मजदूर वर्ग के उत्तम सपूत के रूप में आविराम कोशिश किया. पार्टी बुनियादी लाइन पर आधार होकर भारत नवजनवादी क्रांति के लिए वे मार्क्सवाद-लेनिनवाद-माओवाद को सृजनात्मक तरीके से जोड़ कर सैद्धांतिक, राजनीतिक, सांगठनिक संयुक्त मोर्चा क्षेत्रों के सवालों को सक्षम मार्गदर्शन देने वाले सिद्धांतकार, राजनीतिज्ञ, सक्षम कमेटी सचिव / आर्गनाइजर, सक्षम पत्रिका संपादक थे कामरेड आनंद. ब्राह्मणीय हिंदुत्व फासीवाद देश के लिए खतरे के रूप में बन गई स्थिति में भारत की क्रांतिकारी आंदोलन को आगे ले जाने के लिए पूरे पार्टी प्रयास करते समय कामरेड आनंद की शहादत क्रांतिकारी आंदोलन के लिए गंभीर क्षति उनके शहादत द्वारा हुई नुकसान को जल्दी नही भर पायेंगे। क्रांतिकारी आंदोलन के नेताओं, कार्यकर्ताओं को इलाज की सुविधा, दवाई आपूर्ति में बाधा डालने के लिए केंद्र-राज्य सरकारों द्वारा चलाये जा रही फासीवादी हमलों के कारण से ही कामरेड आनंद शहीद हुए है. गंभीर अस्वस्थता के चलते हमारे पार्टी, पीएलजीए कार्यकर्ताओं नेताओं ने इलाज के लिए शहरों में जाने से पकडके हत्याएं करने वाले पुलिस अधिकारीयों ने दूसरी तरफ आत्मसमर्पण करने से बेहतर इलाज की सुविधा मिलेगी ऐसी घोषणएं करना एक क्रूर मजाक है। केंद्र-राज्य सरकारें प्रतिक्रांतिकारी सूरजकुंड रणनीतिक योजना द्वारा चलाये जा रहे हमले को हराने से ही क्रांतिकारी नेताओं को कार्यकर्ताओं को असमय मृत्य से बचा पायेंगे।





कामरेड आनंद भौतिक रूप से दूर होने की घटना एक दुःखद, चितांजनक और गंभीर नुक्सानदायक होने के बावजूद पांच दशकों का लंबा क्रांतिकारी कामों के जारिए सैद्धांतिक, राजनीतिक, सांगठनिक संयुक्त मोर्चों के क्षेत्रों में वे भारत की क्रांतिकारी आंदोलन के लिए दिया गया योगदान पूरे पार्टी, पीएलजीए, जनसंगठनों, जनताना सरकारों एवं पूरे क्रांतिकारी शिविर के लिए सदा मार्गदर्शन के रूप में उजाला देता रहेगा, प्रेरणादायक रहता है. उनके शिक्षण व क्रांतिकारी कार्यों से प्रेरणा लेकर क्रांतिकारी आंदोलन को आगे ले जाने के लिए चल रही कार्यों में भागीदारी लेने के लिए पूरे देश के मजदूरों, किसानों, मध्यम वर्ग, छोटे पूंजीपतियों, दलितों, आदिवासियों, धार्मिक अल्पसंख्यक समुदायों, महिलाओं एवं उत्पीड़ित राष्ट्रीयताओं को आह्वान दे रहे हैं।

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