छत्तीसगढ़ : कवासी लखमा के बिगड़े बोल, कहा- 🏹तीर धनुष🏹 लेकर मारो साले पुलिस वालों को...! सभा को संबोधित करते हुए, ग्रामीणों को उकसाते नजर आए- लांघी मर्यादा।

छत्तीसगढ़ : कवासी लखमा के बिगड़े बोल, कहा- 🏹तीर धनुष🏹 लेकर मारो साले पुलिस वालों को...!

सभा को संबोधित करते हुए, ग्रामीणों को उकसाते नजर आए- लांघी मर्यादा

छत्तीसगढ़ (बस्तर - जगदलपुर ) ओम प्रकाश सिंह ।  पूर्व मंत्री कवासी लखमा सुकमा जिले की कोंटा विधानसभा सीट से विधायक कवासी लखमा को इस लोकसभा चुनाव में कांग्रेस ने बस्तर लोकसभा सीट से उम्मीदवार बनाया है। विधायक के संवैधानिक पर रहते हुए भी कवासी लखमा सारी मर्यादाएं लांघते हुए भरी चुनावी सभा को संबोधित करते हुए, आदिवासियों को पुलिस के खिलाफ हिंसा के लिए उकसाते नजर आए हैं।




कवासी लखमा छत्तीसगढ़ की पिछली कांग्रेस सरकार में आबकारी एवं उद्योग मंत्री रहे हैं। बस्तर संभाग के सुकमा जिले की एकमात्र विधानसभा सीट कोंटा से वे लगातार छठवीं बार विधायक चुनकर आए हैं। छत्तीसगढ़ के सबसे सीनियर विधायकों में गिनती होती है। बस्तर संभाग की अधिकतर विधानसभा सीटों पर जब कांग्रेस हार गई,
लोकसभा चुनाव में कवासी लखमा ने अपने बड़े सुपुत्र
हरीश कवासी को बस्तर सीट से टिकट दिलाने के लिए एड़ी चोटी का जोर लगा दिया था। परिवार वाद के दाग से बचने के लिए कांग्रेस ने हरीश कवासी के बजाय उनके मौजूदा विधायक पिता कवासी लखमा को टिकट दे दिया। लखमा इन दिनों अपने चुनाव प्रचार में पूरी ताकत से जुटे हुए हैं।




सोमवार को बस्तर लोकसभा क्षेत्र अंतर्गत बीजापुर जिले के ग्राम कुटरू पहुंचे थे। वहां मौजूद 50-60 ग्रामीणों के बीच अपने संबोधन में कवासी लखमा ने कहा - तोंगपाल में टीना है टीना, वहां पुलिस वाले आए थे, नाप रहे थे, मैने लोगों से कहा कि तीर धनुष निकालकर मारो साले पुलिस वालों को, अगर हमारा जंगल नहीं बचेगा, तो हम आदिवासी कहां बचेंगे, इसलिए सब आगे आओ। इस तरह संवैधानिक पद पर बैठे कवासी लखमा आदिवासियों को हिंसा के लिए खुलेआम उकसाते नजर आते हैं। इस दौरान कवासी लखमा के साथ बीजापुर के कांग्रेस विधायक विक्रम मंडावी भी मौजूद थे। मंडावी लगातार दूसरी बार विधायक चुने गए हैं, लेकिन उन्होंने भड़काऊ बातें कहने पर कवासी लखमा को टोकने की जहमत नहीं उठाई।

कवासी लखमा बस्तर की धरती को लहूलुहान करने की बात कैसे करने लगे हैं

कवासी लखमा के कहे मुताबिक अगर बस्तर के लोगों ने पुलिस और प्रशासन के खिलाफ हथियार उठाना शुरू कर दिया, अगर यहीं हालत रहा तो बस्तर का हश्र क्या होगा

नक्सलवाद से जूझ रहा बस्तर बहुत ज्यादा रक्तपात सह चुका है। सैकड़ों माताओं - बहनों की गोद और मांग सूनी हो चुकी है, सैकड़ों बच्चे अनाथ हो चुके है, अनगिनत बुजुर्ग अपने बुढ़ापे का सहारा खो चुके हैं। अब जाकर स्थिति थोड़ी संभली है। 

क्या कवासी लखमा बस्तर में फिर से वही दौर देखना चाहते हैं

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