छत्तीसगढ़ : माओवादी दक्षिण सब जोनल ब्यूरो प्रवक्ता समता के द्वारा प्रेस वक्तव्य में 28 जुलाई से 3 अगस्त, 2024 तक शहीद स्मृति सप्ताह को लड़ाकू उत्साह के साथ मनाएंगे !

छत्तीसगढ़ : माओवादी दक्षिण सब जोनल ब्यूरो प्रवक्ता समता के द्वारा प्रेस वक्तव्य में 28 जुलाई से 3 अगस्त, 2024 तक शहीद स्मृति सप्ताह को लड़ाकू उत्साह के साथ मनाएंगे !

शहीदों से प्रेरणा लेकर फासीवादी 'आपरेशन कगार' को विफल करने के लिए व्यापक जनता को जनयुद्ध और जनांदोलन में गोलबंद करें !

ब्राम्हणीय हिन्दूत्व, फासीवादी, आंतकवादी भाजपा-आरएसएस को नेस्तानाबूद करेंगे।

छत्तीसगढ़ ( बस्तर ) ओम प्रकाश सिंह । भारतीय क्रांति के महान नेतागण, हमारी पार्टी के संस्थापक, शिक्षक अमर शहीद कामरेड चारू मजूमदार और कामरेड कन्हाई चट्टार्जी को पहले स्मरण करेंगे। इस साल दक्षिण सब जोन इलाका में सूरजकुण्ड' योजना के अतंर्गत दमन और ‘कगार' हमलों को सामना करते हुए 106 कामरेडस अपना प्राण को बलिदान दिये हैं। इन सभी कामरेडों का जीवनियों को गांव-गांव में प्रचार करेंगे। अमर शहीद योद्धाओं ने शोषण और दमन को समाप्त करने के लिए अपने प्राण बलिदान दिये हैं।




इस लिए जनता को शहीदों का जीवनियों से पूरा अवगत करना, प्रेरणा से भरना और हजारों संख्य में युवती युवकों को आंदोलन में शामिल करवाना चाहिए। ऐसा करने से ही शहीदों का सपना को पूरा कर सकते हैं। 2023 अक्टोबर 17 तारीख को जनता का प्रिय नेता कॉ. पद्दम नागेश को (पश्चिम बस्तर डीवीसी सदस्य), धोखादाड़ी से पकड़कर हत्या किया था। 2024, जनवरी 16 तारीख धरमारम कैंप पर पीएलजीए ने हमला किया था। उसमें 76 पुलिस मर गये और 90 पुलिस घायल हुये थे। इस साहसिक हमले में बटालियन का कम्पनी कमाण्डर कामरेड करटम देवाल और उनके साथ एसजीएल मेन मुचाकी विक्रम और पीएलजीए सदस्य मड़काम देवाल शहीद हुएं हैं। जनवरी 30 तारीख जीरागुड़ेम के पास हजारों पुलिस के साथ हुए संघर्ष में 20 पुलिस घायल हुआ, 5 पुलिस मर गये। इस संघर्ष में सेक्शन कमाण्डर कॉ. माड़वी राजे (कम्पनी -2, पीपीसीएम), कॉ. बोज्जाल (बीएन-1, पार्टी सदस्य) शहीद हुए हैं। 2024 मार्च 19 तारीख को गढ़चिरोली जिले में कॉ. मंगू (डीवीसीएम), कॉ. वर्गेश (डीवीसीएम), कॉ. राजू (पीएम), कॉ. बुधराम (पीएम) इन चारों कामरेडों को दुश्मन का साजिश के चलते जहर दिया और बेहोश स्थिति में उनको हत्या किया था। 6 अप्रैल 2024 को बीजापुर जिले में पामेड़ इलाके का पिट्टेपाड़ा जंगल में दुश्मन के साथ हुए फायरिंग में कॉ. सागर (सीरआरसी कम्पनी - 2 कमाण्डर), कॉ. मनिराम (सीआरसी कम्पनी - 2, पीपीसीएम), कॉ. लक्ष्मण (बीएन-1 सदस्य) शहीद हुए थे। 5 फरवरी, 2024 को ओडिशा राज्य, केकेबीएन डिवीजनल कमेटी के सदस्य कॉ. दसरू (पुव्वार गांव) को दुश्मन ने पकड़ कर बहुत यातना देकर हत्या किया था। 30 मार्च, 2024 को एमएमसी जोन में एक मुठभेड़ में कॉ. संजति/क्रांति (डीवीसीएम, दक्षिण बस्तर, कोंटा एरिया, रेगड़गट्टा गांव) शहीद हुईं थी। 30 अप्रैल, 2024 को नारायणपुर जिला काकूर- टेकामेट्टा जंगल में हुए फायरिंग में मल्लेंगपाड़ गांव का कॉ. मल्लेश (डीवीसी सदस्य), कोमाट गांव का कॉ. चिलका (पीएम) शहीद हुए। 20 सितंबर 2023 को दरभा डिविजन में दुश्मन के साथ हुए एक झूठी मुठभेड़ में कॉ. माडवी लखे (एसीएम). कॉ. सपना (एसीएम), कॉ. मंगली (पीएम) शहीद हुए। 2023 दिसम्बर 24 तारीख को दरभा डिविजन इलाका में पुलिस के साथ हुए एक संघर्ष में कॉ. लक्ष्मण (एसीएम), कॉ. लिंगा (पीएम), कॉ. सोमा (एसीएम) शहीद हुए थे। मार्च महीने में गम्पुड़ मुठभेड़ में कॉ. डोडडी लखे (एसीएम, पुव्वार गांव), आम जनता को पकड़कर हत्या किया था।




 सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार 2 अप्रैल को बीजापुर जिला में कोरचिल गांव के नजदीक हुए एक झूठी मुठभेड़ में कॉ. दूला (पीएम, एलएमजी गार्ड) कॉ. सोनु के साथ 10 आम जनता को दुश्मन ने हत्या किये थे। 29 अप्रैल 2024 को चंदा गांव नजदीक हुए फायरिंग में कॉ. मंगडू (एओबी, पीपीसीएम, टेकामेट्टा गांव) शहीद हुए है। 25 मई, कमका फायरिंग में कॉ. नीला (एसीएम), कॉ. विज्जे (एसीएम), शहीद हुए हैं। 29 मई को कॉ. मनिला (एसीएम) के साथ एक ग्रामीण बंदेपारा फायरिंग में शहीद हुए हैं। 2024 अप्रैल 25 तारीख को कांकेर जिला में आपाटोला - कलपर मुठभेड़ में कॉ. रवि / बचनु माड़वी (पीपीसीएम, जिला बीजापुर, वेच्चापाल गांव), कॉ. रमेश ओयम (पीपीसीएम, जिला बीजापुर, वेच्चापाल गांव), कॉ. बदरू बाड़से (पीपीसीएम, जिला सुकमा, कर्रेगुड़ेम गांव), कॉ. कविता सोड़ी (पीएम, जिला बीजापुर, नेंडूर गांव), कॉ. रोशन माड़वी (पीएम, जिला दन्तेवाड़ा), कॉ. कार्तिक माड़वी (पीएम, जिला बीजापुर मर्रुम गांव), कॉ. संजीला मड़काम (पीएलजीए सदस्य, जिला बीजापुर करका गांव), कॉ. भूमे मड़काम (पीएलजीए सदस्य, जिला बीजापुर, अप्पेल गांव), कॉ. लालू (पीएलजीए सदस्य, जिला बीजापुर, लिंगागिरी गांव), कॉ. पिंटू ओयम (पीएजलए सदस्य, जिला बीजापुर, गोटूम गांव), कॉ. जीनू (पीएलजीए सदस्य, जिला बीजापुर, दुरदा गांव), कॉ. सीताल माड़वी (पीएलजीए सदस्य, जिला बीजापुर, ताकिलोड़), कॉ. राजू कुरसम (पीएलजीए सदस्य, जिला बीजापुर परकेल गांव), कॉ. शीलो (पीएलजीए सदस्य, जिला बीजापुर, ऊतला गांव), कॉ. देवाल ( पीएलजीए सदस्य, जिला बीजापुर, तुमनार गांव) शहीद हुए हैं। 2024 फरवरी 7तारीख को धोखादाड़ी से एसी सदस्य कॉ. चंद्रन्ना को पुलिस ने पकड़कर हत्या किये थे। मार्च 27 तारीख का दिन चिपुरभट्टी के पास दुश्मन ने धोखा करके बर्बरतापूर्वक किये झूठी मुठभेड़ में कॉ. कोवासी गंगी (एसीएम), कॉ. पूनेम नागेश (पीएम) इनके साथ 4 आम जनता शहीद हुए। 8 जून मुंगोडी, गोबेल मुठभेड़ में कॉ. माड़वी मेशिया (पीपीसीएम, मड़कागुड़ेम) शहीद हुए है। 15 जून को कोड़तामरका फायरिंग में कॉ. कोसाल (नरसापुरम) शहीद हुआ। 13 मई को कतरंगट्टा फायरिंग में पुल्सुम कमला (पीएम, अवकेम गांव), रेश्मा मुचाकी ( बुड़गीन) शहीद हुए हैं। मई 10 तारीख को पिड़िया फर्जी मुठभेड़ में कॉ. कल्लु पूनेम (पार्टी सदस्य, कम्पनी-2), कॉ. बूधू (पार्टी सदस्य, कम्पनी - 2 ) के साथ 10 आम ग्रामीण शहीद हुए।
एक साल के अंदर दक्षिण सब जोन इलाका का 106 कामरेडों ने निस्वार्थ भावना से एक सुंदर नया समाज के लिए अपने प्राण न्योछावर किये हैं। इसमें 55 कामरेडस पूर्णकालिन कार्यकर्ता थे, 51 क्रांतिकारी जनता हैं। इसलिए हमारे जिम्मेदारी है कि
उस कर्तव्य को आगे बढ़ाना है।
आज पूरा दुनिया का राजनीतिक, आर्थिक, सामाजिक, सांस्कृतिक, पर्यावरण संकट गहरा होते जा रहें हैं। इसका समाधान नहीं मिल रहा है, कई देश आर्थिक रूप से ऋणग्रस्त होकर साम्राज्यवादीयों से लगाए गए फंदा में फंस गये हैं। सभी देशों में मजदूर, किसान, कर्मचारी, महिला, छात्र, बुद्धिजिवि, पत्रकार, पर्यावरणवादीयों का आंदोलन बढ़ते जा रहें हैं। आज विश्व साम्राज्यवादी आर्थिक व्यवस्था पतन का शिकर पर पहुंच गया है। ऐसी परिस्थिति में दुनियाभर फासीवादी संस्थाएं व पार्टियां अस्तित्व में आ रहे हैं। दूसरी ओर क्रांतिकारी पार्टियां 40 देशों में उभरकर आये हैं। अंतर्राष्ट्रीय क्रांतिकारी संगठन को बनाया है।
आज दुनिया का परिरिस्थिति देखें तो 3 प्रकार का लड़ाई चल रहे हैं। प्रथम रूप में क्रांतिकारियों के पार्टियों के नेतृत्व में सड़े-गले पूंजीपति - साम्राज्यवादी व्यवस्था को उखाड़ फेंखकर नया समाजवादी स्थापना के लिए हो रहा है। दूसरा साम्राज्यवादी के विरोध में हर देश में राष्ट्रीयताओं का आंदोलन चल रहें हैं। तीसरा दुनिया भर जनवादी, पर्यावरणवादी, जहरीला संस्कृति के विरोध में आंदोलन, आर्थिक मांगों को लेकर आंदोलन - कई अनेक प्रकार के रूप में चल रहे हैं। इन सभी आंदोलनों को एकजुट होना जरूरी है। माहौल ऐसा दिख रही है कि आगामी समय में निश्चित रूप से इन सभी आंदोलन क्रांतिकारियों का नेतृत्व में आएंगी। इस माहौल को देखकर साम्राज्यवादी, उनका नाजायज बेटा फासीवादी भाजपा-आरएसएस, मोदी, शाह, राजनथसिंह, मोहन भगावत, अजित डोभल जैसे आंतकवादी लोग डर रहें हैं। इस डर के चलते निर्णायक दमन योजना 'कगार आपरेशन' को लाया है। आज देश के अंदर राजनीतिक, आर्थिक, सांस्कृतिक, सामाजिक परिस्थितियों को देखने से समझ में आता है कि इन फासीवादी संस्थाओं का जनाधार घटते जा रहें हैं। आज 'कगार आपरेशन' में हमको जरूर नुकसान हुआ है। लेकिन आगामी दिनों में बढ़ते हुए जनांदोलन से हम निश्चित रूप से जनता का चेतना को बढ़ाएंगे, हमारी ताकत को मजबूत करेंगे और विस्तार
भी करेंगे। भारत मे हो रहे जन युद्ध के समर्थन में दुनिया भर जुलुस, रैली, विरोध प्रदर्शन, दूतावास के सामने जुलुस वगैरा रूप में हो रहे हैं। छत्तीसगढ़ में शहीद हुए कामरेडों के बारे में दुनिया भर प्रचार हो रहे हैं। भारत में हो रहे जनयुद्ध को देखकर कईं अनेक देशों में, कई अनेक संगठन प्रेरणा ले रहें हैं।
आज फासीवादी भाजपा का नेतृत्व में बने हुए केंद्र का एनडीए सरकार के सामने बहुत चुनौतियां हैं। मई 5 तारीख में आयोजित किये गये मेड़िकल प्रवेश परिक्षा में हुए धांधली के चलते 23 लाख मेडिकल छात्रों का भविष्य अंधकार में पड़ गया है।
इसके विरोध में देश व्यापी छात्र आंदोलन चल रहे हैं। संशोधित करके लाए हुए 3 अपराध कानून के विरोध में देश व्यापी 3,600 संगठन, बुद्धिजीवि सरकार विरोधी आवाज उठ रहे हैं। पिछले सरकार के समय में लाए हुए नया माइनिंग पालसी के मुताबिक अदानी जैसे कम्पनियों को कोयला खदान दे रहा है। इसके विरोध में देश व्यापी मजदूर संगठन लड़ाई के लिए तैयारी में हैं।
छत्तीसगढ़ में हसदेव जंगल आंदोलन चल रहा है। इसके साथ बेरोजगार और कर्मचारी आंदोलन का रासता अपना रहे हैं।
इसलिए दक्षिण सब जोन ईलाका में हो रहे जनयुद्ध व जनांदोलन अकेले नहीं हैं, देश भर में इसका समर्थन है, बहुत संगठन, पहले ग्रीन हन्ट के विरोध में आवाज उठाया अभी 'कगार' के विरोध में आवाज बढ़ते जा रहें हैं। इसलिए हम लोग सोचना और समझने चाहिए कि बढ़ते हुए अनुकूल परिस्थिति में नुकसानों को भरपाई करते हुए आंदोलन को और विस्तार करना चाहिए।
इसलिए यहां का जनता को शहीद सप्ताह के अवसर पर राजनीतिक चेतना को बढ़ाना चाहिए। इस प्रकार शहीदों का सपना को पूरा करना चाहिए। हजारों संख्या जनता को आंदोलन में शामिल करना हैं। 'कगार आपेरशन को विफल करते हुए जन
राज्य सत्ता, जनता ना सरकार को मजबूत और विस्तार करेंगे इसी रासते पर भारत का नवजनवादी क्रांति को सफल बनाएंगे।

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