छत्तीसगढ़ : कन्हाईगुड़ा जंगल में हुए अंधे कत्ल का खुलासा।

छत्तीसगढ़ : कन्हाईगुड़ा जंगल में हुए अंधे कत्ल का खुलासा।


शिविरपारा निवासी सरस्वती कड़ियामी की कर दी गई थी गला रेत कर हत्या

शातिर अपराधियों ने पुलिस को गुमराह करने हत्या को आत्महत्या का रूप देने लटकाया था फन्दे पर

पुलिस अधीक्षक बीजापुर एवं अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक बीजापुर स्वयं करते रहे विवेचना की लगातार मॉनीटरिंग

उप पुलिस अधीक्षक मुख्यालय के नेतृत्व में गठित विशेष टीम द्वारा 40 दिनों तक लगातार करती रही पतासाजी

एक ही परिवार के तीन आरोपी गिरफ्तार, पारिवारिक रंजिश व शादी से इंकार करना बना हत्या का कारण

बीजापुर पुलिस की कार्यवाही

         
छत्तीसगढ़ ( बीजापुर ) ओम प्रकाश सिंह ।  दिनांक 10.08.2024 को सूचनाकर्ता फूलचंद कड़ियामी निवासी शिविरपारा ने दोपहर के समय थाना बीजापुर आकर पुलिस को सूचना दी कि इसकी बड़ी बहन सरस्वती कड़ियामी उम्र 34 वर्ष सुबह करीब 06.30 बजे शिविरपारा से सागवाही खेत रोपाई काम से अकेली पैदल निकली थी, जो अब तक घर वापस नहीं पहुंची है। स्वयं से खोजबीन करने पर कन्हईगुड़ा के पहले जंगल में उसका चप्पल, झोला पड़ा हुआ मिला। सूचना मिलने पर मामले की गंभीरता को समझते हुए बीजापुर पुलिस टीम तुरंत ही परिजनों के साथ घटनास्थल जाकर सर्च किया, जहां खून के धब्बे एवं झोला दिखाई दिया। सघनता से सर्च करने पर रास्ते से करीब 100 मीटर की दूरी पर गुमशुदा सरस्वती कड़ियामी का शव नाले में उल्टे मुंह फंदे से लटका मिला था। घटना स्थल देखकर पुलिस ने भाप लिया था कि यह मामला आत्महत्या का नहीं हो सकता, अपितु घटना को आत्महत्या का रूप देने की कोशिश की गई है। पुलिस द्वारा शव का पंचनामा कर पोस्टमार्टम हेतु अस्पताल भेजा गया। पोस्टमार्टम के दौरान फंदा खोल कर देखा गया तो मृतिका सरस्वती का गला रेता गया था। जिसे आत्महत्या का रूप देने शातिराना तरीके से फंदा लगा दिया गया था। पोस्टमार्टम में डॉक्टर की टीम ने प्रथम दृष्टया मामला हत्या का होना बताया। अन्य किसी तरह की घटना होने से इंकार किया था। जिससे पुलिस को यह सुनिश्चित हो गया था कि किसी जानने पहचाने वाले व्यक्ति ने ही पूरी तैयारी के साथ घटना को अंजाम दिया है।



मामले की विवेचना के दौरान पुलिस को काफी मश्क्कतों का सामना करना पड़ा। घटना स्थल घना जंगल एवं नक्सल प्रभावित ईलाका था, आसपास या रास्ते में किसी तरह का कोई सीसीटीव्ही कैमरा नहीं था एवं मोबाईल नेटवर्क भी कमजोर था। विवेचना के दौरान सरस्वती के इतिहास का अध्ययन करने पर भी कोई खास बात निकलकर सामने नहीं आ पा रही थी तथा चौकाने वाले तथ्य थे कि मृतिका का भाई घटनास्थल व घटना समय के आसपास कई बार गुजरा था। उसके अलावा भी उस रास्ते में लोगों का आवाजाही सुबह से लगातार हो रहा था, पर किसी ने भी किसी को देखना नहीं बता रहे थे। पुलिस ने विवेचना के दौरान करीब 500 से अधिक कॉल रिकार्ड खंगाले तथा 200 से अधिक लोगो से पूछताछ के बाद भी किसी स्पष्ट नतीजे पर पहुंच नहीं पा रहे थे।



मामले की गंभीरता को देखते हुए पुलिस अधीक्षक बीजापुर डॉ0 जितेन्द्र कुमार यादव के द्वारा अति पुलिस अधीक्षक ऑप्स वैभव बैंकर, अति0 पुलिस अधीक्षक बीजापुर चन्दकांत गवर्ना के मार्ग दर्शन में उप पुलिस अधीक्षक तुलसीराम लेकाम के नेतृत्व में  2 निरीक्षक 8 उप निरीक्षक एवं 15 जवानों की एक विशेष टीम का गठन किया गया। जिसकी मॉनीटरिंग स्वयं पुलिस अधीक्षक कर रहे थे। पुलिस टीम की लगातार धैर्य पूर्वक मेहनत से अंततः कुछ ऐसे सुराग मिले जिससे कि पुलिस टीम ने पदेड़ा निवासी नंदू मांझी व उसके भैया मंगल मांझी को हिरासत में लिया। दोनों से पूछताछ करने पर दोनों शातिर अपराधी लगातार पुलिस को गुमराह करते रहे, किन्तु अंततः घटना कारित करना कबूल किये। नंदू मांझी ने पूछताछ में कबूल किया कि मृतिका सरस्वती कड़ियामी से इसकी शादी का रिश्ता लगा था परंतु सरस्वती के द्वारा अपमानित करते हुए इससे शादी के लिए मना कर दिया गया था। उसके बाद भी नंदू लगातार सरस्वती से बातचीत करने का प्रयास करता रहा, परंतु सरस्वती उससे बात करने या कोई भी मतलब रखने से इंकार कर देती थी, सरस्वती द्वारा अपमानित कर शादी से इंकार करने के कारण नंदू व उसके परिवार की समाज में काफी बदनामी हुई थी तथा उसका कहीं भी रिश्ता नहीं लगा पा रहा था, इसी बात से नंदू, सरस्वती से काफी नाराज था तथा इसका बदला लेना चाहता था। नंदू को पता चला कि सरस्वती पिछले 07-08 दिनों से रोपाई के काम में अकेली पैदल सागवाही सुबह - सुबह जाती है तो इसने अपने भैया मंगल मांझी के साथ मिलकर सरस्वती की हत्या करने की योजना बनाई। दोनों दिनांक 10.08.2024 को सुबह कन्हईगुड़ा जंगल के पास छिपकर बैठ गये और सरस्वती का इंतजार करने लगे।  सरस्वती को अकेली आता देख  इनके द्वारा मृतिका को जंगल के अंदर खींचकर, गला रेत कर हत्या कर दिया गया और पुलिस को गुमराह करने की नीयत से हत्या को आत्महत्या का रूप देने के लिए उसे नाले के पास फंदे में लटका दिये और वहां से भाग निकले। घटना के संबंध में अपने पिता सुखनाथ मांझी उर्फ फोटकू को भी जानकारी दिये। जो इनके पिता ने दोनों का साथ देते हुए आरोपियों को पूर्णतः संरक्षण दिया। पुलिस ने घटना में प्रयुक्त चाकू, आरोपियों के घटना समय पहने कपड़े, जो इसके द्वारा जंगल में छिपाए गये थे, बरामद कर लिया है। पर्याप्त सबूतो के आधार पर पुलिस ने इस अंधे कत्ल के मामले में 03 आरोपी 1. मंगल साय मांझी 2. नंदू मांझी 3. सुखनाथ उर्फ फोटकू मांझी को धारा 103(1), 238, 239, 249, 61(2), 351(2) 3(5) बी.एन.एस. में गिरफ्तार कर माननीय न्यायालय प्रस्तुत किया गया है।

उक्त टीम में पुलिस अधीक्षक बीजापुर डॉ0 जितेन्द्र यादव के दिशा निर्देशन में अति पुलिस अधीक्षक ऑप्स वैभव बैंकर, अति0 पुलिस अधीक्षक चन्दकांत गवर्ना के मार्ग दर्शन में उप पुलिस अधीक्षक तुलसीराम लेकाम के नेतृत्व में थाना प्रभारी दुर्गेश शर्मा, निरीक्षक विरेन्द्र श्रीवास्तव, उप निरीक्षक मुकेश पटेल, शिवकुमार खुट्टे, रिजवान अहमद, प्रमिला नागे, राजेश सिंह बेरू, राजकुमार नेताम, विद्याभूषण भारद्वाज, विवेकानंद पटेल, प्रधान आरक्षक नरेश देवांगन, सरिता यादव, पदमा दुर्गम, दाउ सिंह भास्कर, खुमान सिन्हा आरक्षक योगेश्वर कपूर, हरेश्वर मण्डावी, लक्ष्मण पेरमा, रमेश तेलम, सुरेश कटला, महेन्द्र दुर्गम, रफीक खान, लक्ष्मी माड़वी, दीपक साय डीएसएफ आरक्षक सुमंत निहाल, मोतीलाल नक्का, दिलीप कुरसम, अनिल पोंदी अंधेकत्ल के धैयपूर्ण विवेचना व खुलासे के लिए पुलिस अधीक्षक बीजापुर ने पूरी टीम को पुरूस्कृत करने की घोषणा की है।

अपराध क्रमांक - 47/2024

धारा - 103(1), 238, 239, 249, 61(2), 351(2) 3(5) बी.एन.एस.।

नाम अपराधीगण

1. मंगल साय मांझी पिता सुखनाथ मांझी उम्र 45 वर्ष साकिन जय नगर शिविरपारा बीजापुर थाना व जिला बीजापुर (छ.ग.)

2. नंदू मांझी पिता सुखनाथ मांझी उम्र 30 वर्ष साकिन हल्बापारा पदेड़ा थाना बीजापुर जिला बीजापुर

3. सुखनाथ मांझी पिता स्व. वीरसिंग मांझी उम्र 65 वर्ष साकिन हल्बापारा पदेड़ा थाना बीजापुर

Post a Comment

0 Comments